उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब के गन्ना किसानों की बल्ले, किसानों के भुगतान के लिए सहज होगा चुनावी साल

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नई दिल्ली, एजेंसी। चुनावी साल में गन्ना किसानों को बकाया की मुश्किलों से रूबरू नहीं होना पड़ेगा। उन्हें ना केवल अपने गन्ने का मूल्य मिलेगा बल्कि पुराना बकाया भी चुकता हो सकता है। चीनी निर्यात की बड़ी संभावनाओं के साथ घरेलू बाजार में कीमतों के संतोषजनक रहने का अनुमान है। अक्टूबर से शुरू हुए चालू पेराई सीजन में गन्ने का भुगतान समय पर होने लगा है।
वैश्विक बाजार के ताजा रुख और घरेलू बाजार को देखते हुए गन्ना किसानों और चीनी उद्योग के लिए चालू पेराई सीजन बेहतर रह सकता है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसकी घोषणा किसी भी समय हो सकती है। चुनाव के दौरान गन्ना भुगतान का मसला बहुत ही संवेदनशील माना जाता है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में गन्ना किसानों के हितों का ध्यान रखने के लिए राज्य सरकारें पूरी मेहनत कर रही हैं। जिस बाजार के साथ देने की वजह से चीनी उद्योग और गन्ना किसानों के लिए कोई मुश्किल नहीं दिख रही है। एथनाल उत्पादन को लेकर सरकार की नीति बहुत ही उदार है, जिसके लिए चौतरफा निवेश आ रहा है। पिछले दिनों एक समारोह में हिस्सा लेने के बाद खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने चीनी उद्योग से एथनाल के भंडारण में निवेश की अपील की है, ताकि ज्यादा उत्पादन कर तेल कंपनियों बेचा जा सके।
वैश्विक बाजार में ब्राजील जैसे बड़े उत्पादक देश से चीनी की कम आवक का अनुमान है। यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें अधिक बोली जा रही हैं। भारतीय चीनी मिलों को पहले चरण में ही 35 लाख टन चीनी निर्यात का आर्डर मिल चुका है। इसमें लगातार वृद्घि की संभावना बनी हुई है। विश्व बाजार की तेजी से स्पष्ट है कि चालू सीजन में चीनी का निर्यात बिना सब्सिडी के हो सकेगा। चीनी के मूल्य के चौतरफा संतोषजनक रहने की संभावना के मद्देनजर ही सरकार ने चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाने की चीनी उद्योग की मांग को सिरे से खारिज कर दिया है।
सरकार ने चीनी का पहले ही एमएसपी 31 रुपये प्रति किलो घोषित कर रखा है, जिसे बढ़ाकर चीनी उद्योग 36 से 37 रुपये प्रति किलो करने की मांग कर रहा था। जबकि घरेलू जिंस बाजार में चीनी का मूल्य 34 से 35 रुपये प्रति किलो बोला जा रहा है। ऐसे में कीमतों के बढ़ाने से घरेलू बाजार में चीनी महंगी हो सकती है, जो उपभोक्ताओं की मुश्किलें बढ़ा सकती है। चीनी का एमएसपी घरेलू बाजार में चीनी के बढ़े स्टाक और कीमतों के लागत से नीचे आने से रोकने के लिए किया गया था, ताकि चीनी उद्योग वित्तीय संकट में न फंसे और गन्ना किसानों का भुगतान नहीं रुकने पाए।
दरअसल, चालू सीजन 2021-22 के दौरान 35 लाख टन चीनी की जगह एथनाल का उत्पादन किया जाएगा, जो पिछले साल 20 लाख टन चीनी के बराबर था। जिंस बाजार में इससे भी चीनी का स्टाक ज्यादा नहीं होगा। चीनी की कुल घरेलू खपत 2़60 करोड़ टन रहने का अनुमान है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुमान के मुताबिक चालू पेराई सीजन 2021-22 में चीनी का कुल उत्पादन 3़10 करोड़ टन रहेगा। जबकि 85 लाख टन चीनी का कैरीओवर स्टाक पड़ा है। निर्यात, एथनाल का उत्पादन और अगले साल के कैरीओवर स्टाक को जोड़ने के बाद घरेलू स्टाक सिर्फ जरूरत भर ही रहेगा। लिहाजा बाजार स्टाक के दबाव में नीचे नहीं आ सकता है।

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