बिग ब्रेकिंग

2018 में हुए धुमाकोट बस हादसे के बाद भी नहीं जागा सिस्टम

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जुलाई 2018 में धुमाकोट क्षेत्र में बमेणीसैंण भौन पीपली मार्ग पर हुआ था हादसा
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : मर्चुला बस हादसें ने सरकारी सिस्टम की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए है। सवाल यह भी उठ रहा है कि यदि सिस्टम ने वर्ष 2018 में धुमाकोट के बमेणीसैंण भौन पीपली मार्ग में हुए हादसे से सबक लिया होता तो शायद दोबारा इस तरह का हादसा न होता। दरअसल, धुमाकोट में हुए इस बस हादसे में लगभग 48 लोगों की जान चली गई थी। जिसके बाद सिस्टम ने व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने की बात कही भी। लेकिन, यह व्यवस्थाएं धरातल पर रंग नहीं लाई।
एक जुलाई 2018 को धुमाकोट क्षेत्र में बमेणीसैंण से भौन पीपली मार्ग पर धुमाकोट आ रही जीएमओयू की बस गहरी खाई में जा गिरी थी। तब हादसे में करीब 48 लोगों की मौके पर ही जान चली गई। इस हादसे की वजह तब ओवरलोडिंग और तेज रफ्तार बताई गई थी। इस हादसे के बाद भी धुमाकोट के सुदूरवर्ती क्षेत्र में चलने वाली परिवहन कंपनियों और सरकारी एजेंसियों ने कोई सबक नहीं लिया। हालांकि उस समय व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने की बात कही गई थी। लेकिन, इस पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया।

त्योहार व शादी-बारात के समय अधिक हादसे
4 अक्तूबर, 2022 को नैनीडांडा से सटे बीरोंखाल क्षेत्र के सिमड़ी में एक बारात की बस खाई में जा गिरी थी, जिसमें 34 लोगों की जान गई और 19 लोग घायल हुए थे। इस हादसे की वजह भी ओवरलोडिंग और तेज रफ्तार बताई गई। ये इस क्षेत्र के बडे़ हादसे हैं, जिनके कुछ दिनों तक सड़क पर खूब सख्ती दिखी। हर चेक पोस्ट पर चेकिंग चली, लेकिन बाद में जस के तस हालात हो गए। ग्रामीण अंचलों में होने वाले ज्यादातर हादसे त्योहार व शादी बरात के सीजन में ही होते हैं। सोमवार को हुए मर्चूला हादसे के पीछे एक बड़ा कारण ग्रामीण क्षेत्रों में समुचित परिवहन सुविधाओं का अभाव भी है। पौड़ी जिले के नैनीडांडा विकासखंड व धुमाकोट तहसील के ज्यादातर लोग रामनगर व कुमांऊ मंडल में निवास करते हैं। जो दीवाली, होली और शादी बारात के सीजन में घर गांव आते जाते हैं। ऐसा ही सोमवार को किनाथ से रामनगर की बस में हुआ। दरअसल, इन दिनों त्योहारी सीजन के कारण बस खचाखच भरकर चली। रामनगर से किनाथ के लिए यह एक मात्र बस सेवा है, जो सुबह 6:00 बजे किनाथ से चलकर 10:00 बजे रामनगर पहुंचती है। यही बस शाम को 3:00 बजे रामनगर से चलकर शाम को करीब साढे़ छह बजे किनाथ गांव पहुंचती है। सुबह की यह बस निकल जाय तो फिर अगले दिन सुबह ही रामनगर के लिए बस मिलती है।

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