तालिबान के वर्चस्व से भयभीत हैं चीन, पाक और रूस, जानें
काबुल, एजेंसी। अफगानिस्घ्तान में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के फैसले मात्र से पूरे क्षेत्र का राजनीतिक समीकण बदल गया है। अमेरिकी सैनिकों के हटने के फैसले के बाद तालिबान के समर्थन में चीन, रूस और पाकिस्घ्तान खुलकर आ चुके हैं। हालांकि, भारत ने अपना पत्घ्ता नहीं खोला है। भारत लगातार कहता आया है कि वह अफगानिस्घ्तान में लोकतांत्रिक मूल्घ्यों के साथ है। अगर अफगानिस्घ्तान के भौगोलिक स्थिति को देखे तो यह साफ है कि तालिबान के प्रभुत्घ्व का सीधा असर चीन, रूस और पाकिस्घ्तान पर ही पड़ने वाला है। तालिबानी प्रभाव से सर्वाधिक अस्थिरता इन्घ्हीं तीन देशों में खड़ी होने वाली है। यही कारण है कि उक्घ्त देश तालिबान से संबंध बनाने के लिए उतावले हैं। आखिर तालिबान के प्रभुत्घ्व बढ़ने से किस देश के लिए क्या संभावनाएं हैं और क्या खतरे हैं।