गोधरा । गुजरात में 23 साल पहले हुए गोधरा ट्रेन अग्निकांड के तीन दोषियों को किशोर न्याय बोर्ड ने तीन साल के लिए रिमांड होम भेजा है। तीनों पर 10-10 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। बोर्ड ने कहा कि तीनों आरोपी घटना के समय नाबालिग थे। वहीं बोर्ड ने दो आरोपियों को बरी कर दिया है।
गुजरात के पंचमहल जिले के किशोर न्याय बोर्ड के अध्यक्ष केएस मोदी ने तीन दोषियों को तीन साल के लिए रिमांड होम भेज दिया। वे 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड के समय किशोर थे। बोर्ड ने मामले में आरोपी दो अन्य लोगों को बरी कर दिया। वे भी घटना के समय किशोर थे। दोषियों के वकील सलमान चरखा ने बताया कि बोर्ड ने तीनों दोषियों की सजा को 30 दिनों के लिए निलंबित कर दिया है। ताकि वे आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील कर सकें।
गुजरात में 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगा दी गई थी। इसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी। साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाए जाने की घटना के बाद पूरा गुजरात सुलग उठा। इसके अगले दिन यानी 28 फरवरी 2002 से गुजरात के अलग-अलग जगहों पर सांप्रदायिक दंगे फैल गए। इन दंगों में 1200 से ज्यादा लोगों की मौत हुई।
गोधरा में ट्रेन जलाने के मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों के खिलाफ आतंकवाद निरोधक अध्यादेश (पोटा) लगाया गया। गुजरात सरकार ने कमीशन ऑफ इन्क्वायरी एक्ट के तहत गोधरा कांड और उसके बाद हुई घटनाओं की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया। पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आई पी सी ) की धारा 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र) लगाई। लेकिन बाद में गोधरा कांड के आरोपियों से पोटा हटा लिया गया।
इसके बाद गोधरा की एक अदालत ने 2011 में इस मामले में 31 आरोपियों को दोषी ठहराया था और 63 अन्य को बरी कर दिया था। ट्रायल कोर्ट ने 11 दोषियों को मौत की सज़ा सुनाई थी, जबकि 20 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। गुजरात उच्च न्यायालय ने अक्तूबर 2017 को कई दोषियों की दोषसिद्धि को बरकरार रखा गया था और 11 लोगों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था। गुजरात सरकार ने फरवरी 2023 में कहा था कि वह उन 11 दोषियों के लिए मृत्युदंड की मांग करेगी, जिनकी सजा को उच्च न्यायालय ने आजीवन कारावास में बदल दिया था।