पॉलीहाउस के प्रति तेजी से बढ़ रहा किसानों का रुझान
अल्मोड़ा। पहाड़ में जंगली जानवरों के सितम से बेजार किसान खेती का तौर तरीका बदलने लगे हैं। धरतीपुत्रों का रुझान बंद संरक्षित खेती यानि पॉलीहाउस के प्रति तेजी से बढ़ रहा है। प्रयोग के तौर पर कम जमीन पर ज्यादा मुनाफा और जंगली जानवरों से फसल बचाने की ये तरकीब उन्हें रास आने लगी है। किसानों की दिलचस्पी को देख जिले के विभिन्न ब्लॉक क्षेत्रों में 218 नए पॉलीहाउस लगाए जा रहे। उद्यान विभाग करीब 80 फीसद लगा भी चुका है। जनपद में सब्जी व दलहन उत्पादन में अव्वल ताड़ीखेत ब्लॉक के पॉलीहाउस मॉडल को अन्य विकासखंड भी अपनाने लगे हैं। बीते वर्ष जिले में छह हजार वर्ग मीटर में विभिन्न माप के पॉलीहाउस लगाए गए थे। इस साल यह आकड़ा बढ़ कर 22 हजार वर्ग मीटर पहुंच गया है। इनमें 20500 वर्ग मीटर में पॉलीहाउस स्थापित भी किए जा चुके हैं। शेष इसी बरसात के बाद अस्तित्व में आ जाएंगे। वर्तमान में जिले में करीब 300 किसान पॉलीहाउस में खेती कर रहे हैं।
करीब नहीं फटकते जंगली जानवर: प्रभारी उद्यान अधिकारी रानीखेत इंद्र लाल की मानें तो खुली के बजाय संरक्षित खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रही। पॉलीहाउस को जंगली सूअरों का झुंड हो या बंदर लंगूर नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।
और प्रोत्साहन की जरूरत: उद्यान विशेषज्ञ डा. रमेश सिंह बिष्ट कहते हैं कि सरकार की ओर से और प्रोत्साहन मिले तो आने वाले दौर में संरक्षित खेती को पहाड़ की खुशहाली व आय बढ़ाने का सटीक जरिया बन सकता है। उन्होंने छोटे किसानों के लिए अनुदान की राशि और बढ़ाए जाने की भी वकालत की।
ऐसे करें आवेदन: भूमि की खाता खतौनी, आधारकार्ड व बैंक खाते की फोटोकापी। सौ रुपये के स्टांप पेपर पर शपथपत्र, दो फोटो नजदीकी उद्यान सचल दल प्रभारी कार्यालय में जमा करा किसान पंजीकरण करा सकते हैं।
मात्र 20 प्रतिशत अंशदान: 100 वर्ग मीटर के पॉलीहाउस की लागत 1.21 लाख रुपये है। इसे पूरी तरह तैयार करने के बाद ही विभाग संबंधित किसान से कृषि अंश का 20 प्रतिशत लेता है।
ये फसल हैं प्रमुख: सीजन के अनुरूप मटर, फूल व बंद गोभी, टमाटर, शिमला मिर्च, खीरा, फ्रासबीन व हरी सब्जियां आदि नगदी फसल। फूलों की खेती भी की जा रही।
इस बार ताड़ीखेत के साथ ही भैंसियाछाना व सोमेश्वर क्षेत्र के सर्वाधिक किसानों ने पॉलीहाउस के लिए आवेदन किए हैं। किसानों को धान गेहूं आदि के साथ सब्जी उत्पादन को प्रेरित कर रहे। पॉलीहाउस पर विभाग से 80 फीसद अनुदान दिया जा रहा है। – त्रिलोकीनाथ पांडेय, जिला उद्यान अधिकारी