गंगोत्री एसटीपी से निकलने वाला पानी पूरी तरह साफ

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देहरादून। गंगोत्री एसटीपी से निकलने वाला पानी पूरी तरह साफ पाया गया है। जल संस्थान ने अपनी रिपोर्ट जारी करते हुए एटीपी से निकलने वाले पानी में फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा 195 एमपीएन बताई है। एनजीटी के मानकों के अनुसार 100 एमएल पानी में फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा 230 एमपीएन और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार 1000 एमपीएन से अधिक नहीं होनी चाहिए। मुख्य महाप्रबंधक जल संस्थान नीलिमा गर्ग ने बताया कि विभाग के एसटीपी से निकलने वाला पानी पूरी तरह मानकों के अनुसार है। बल्कि एनजीटी और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के मानकों से भी कहीं अधिक बेहतर स्थिति में पानी है। पानी में फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा मात्र 195 एमपीएन तक है। नमामि गंगे परियोजना के तहत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को उत्तराखण्ड के सभी एसटीपी से पानी के सैंपल लेकर जांच करनी होती है। इनकी हर महीने रिपोर्ट केंद्र को भेजनी होती है।
सीजीएम गर्ग ने बताया कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने सीवरेज ट्रीटमेंट इफ्यूलेंट स्टेंडर्ड तय किए हैं। इनके अनुसार पानी में पीएच, बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी), कैमिकल ऑक्सीजन डिमांड (सीओडी), टोटल सस्पेंडेड सॉलिड्स(टीएसएस) की जांच की जाती है। जल संस्थान की नवंबर महीने की रिपोर्ट में पानी गुणवत्तायुक्त पाया गया है। पर्यावरण मंत्रालय द्वारा अप्रूव्ड टेस्टिंग लैब पॉल्यूशन कंट्रोल रिसर्च इंस्टीट्यूट और इकॉन लेबोरेट्री एंड कंसल्टेंसी ने अपनी रिपोर्ट में पानी में फिकल कोलीफॉर्म की मात्रा 195 एमपीएन प्रति 100 एमएल बताई है।
सीजीएम नीलिमा गर्ग ने बताया कि पानी में जहां बैक्टेरिया की कम संख्या होती है वहाँ बैक्टिरिया की सटीक संख्या गिनना संभव नहीं होता। इसलिए मोस्ट प्रोबेबल नंबर (एमपीएन) की सांख्यिकी विधि को लागू किया जाता है। जहां फीकल कोलीफॉर्म बैक्टिरिया का लो कंसनट्रेशन होता है, वहां इस एमपीएन विधि से पानी की गुणवत्ता का आकंलन किया जाता है ।

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