भरने लगे आपदा के दिए जख्म, बेघरों को सताने लगी छत की चिंता

Spread the love

खोह नदी के सैलाब में बह गए थे सैकड़ों परिवारों के आशियाने
आपदा राहत शिविरों में रह हे परिवारों के पुनर्वास की बढ़ी चिंता
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : अतिवृष्टि व नदी-नालों के विकराल रुप से बची तबाही के जख्म धीरे-धीरे भरने लगे हैं। लेकिन, अब बेघर हुए लोगों को छत र्की ंचता सताने लगी है। दरअसल, प्रभावित अधिकांश परिवार सरकारी भूमि पर कब्जा कर रह रहे थे। ऐसे में लगता नहीं है कि प्रशासन इन लोगों को दोबारा उक्त स्थान पर बसने की इजाजत देगा। प्रशासन के समक्ष भी इन लोगों को दोबारा पुनर्वास देना एक चुनौती बन रही है।
आठ अगस्त व 13 अगस्त की रात हुई अतिवृष्टि के कारण खोह नदी के साथ ही क्षेत्र के अधिकांश गदेरे उफान पर बह रहे थे। खोह नदी ने जहां गाड़ीघाट, काशीरामपुर तल्ला व झूलाबस्ती क्षेत्र के 33 भवनों को ताश के पत्तों के समान धराशायी कर दिया था। वहीं, बहेड़ा स्रोत गदेरे के तेज बहाव में 18 भवन ध्वस्त हो गए थे। वर्तमान में 140 से अधिक परिवार आसपास के वेडिंग प्वाइंट में दिन काट रहे हैं। लेकिन, अब स्थिति सामान्य होने के साथ ही इन परिवारों के समक्ष भविष्य का संकट खड़ा हो गया है। प्रभावित अधिकांश परिवार खोह नदी के तट पर सरकारी भूमि में कब्जा कर पक्का मकान बनाकर रह रहे थे। ऐसे में प्रशासन इन परिवारों को दोबारा उक्त स्थान पर बसने की इजाजत दे दें इसकी दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है। वेडिंग प्वाइंट स्वामी भी बुकिंग की बात कहकर प्रभावितों को उनका स्थान खाली करने को कह चुका है।

बच्चों के भविष्य की भी चिंता
खोह नदी व बेहडास्रोत के तेज बहाव में बेघर हुए परिवारों के समक्ष अपने बच्चों के भविष्य को लेकर भी चिंता सताने लगी है। पाई-पाई जोड़कर खड़े किए भवन के साथ नदी बच्चों की किताब, कापी व अन्य शैक्षिक सामग्री बहाकर ले गई है। ऐसे में अभिभावकों की चिंता और अधिक बढ़ने लगी है। वहीं, स्नातक की पढ़ाई पूरी कर नौकरी की तलाश में जुटे युवाओं के शैक्षणिक दस्तावेज भी नदी में बह चुके हैं।

रंग बदल रहा आसमान
13 अगस्त की रात अतिवृष्टि के बाद धीरे-धीरे हालात सामान्य होने लगे हैं। लेकिन, कोटद्वार व आसपास के क्षेत्र में लगातार रंग बदल रहा आसमान लोगों की चिंता बढ़ा रहा है। आसमान में छा रहे काले बादल कब दोबारा तबाही बनकर बरसे इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। नदी व गदेरों के आसपास रह रहे परिवारों की निगाहें आसमान पर ही बनी हुई हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *