भारी पड़ सकती है लापरवाही, दूसरी लहर में तीन गुना बढ़ा कोविड कचरा, सही से न हुआ निपटारा तो पड़ सकता है भुगतना
नई दिल्ली, एजेंसी। कोरोना महामारी की दूसरी लहर में बायो मेडिकल वेस्ट भी पहली लहर की तुलना में करीब तीन गुना बढ़ गया है। पिछले साल जहां प्रतिदिन आठ टन कोविड वेस्ट निकल रहा था। इस बार यह आंकड़ा 24 टन के करीब पहुंच गया। इसकी बड़ी वजह संक्रमण का घातक होना रहा। इससे इलाज के लिए अस्पताल में रिकर्ड स्तर पर मरीज भर्ती हुए। एमसीडी का भी मानना है कि इस बार बयोमेडिकल वेस्ट में अधिकतर कोविड से जुड़ा ही वेस्ट था। पीपीई किट, मास्क दस्ताने समेत दूसरे वेस्ट शामिल थे। विशेषज्ञों के मुताबिक, वेस्ट का सही निस्तारण होना बहुत जरूरी है। ऐसा न करने से गंभीर नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं। इससे संक्रमण के अलावा अन्य बीमारियों के फैलने का खतरा काफी रहता है। साथ ही पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंचाता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, पहली लहर के दौरान 2020 के पहले चार महीनों में कोविड बयो मेडिकल वेस्ट की मात्रा केवल 240 टन प्रति माह थी। जबकि इस साल यह आंकड़ा 630 टन प्रतिमाह चल रही है। इसकी वजह कोरोना का इस साल घातक हमला रहा। पिछले साल अप्रैल तक एक दिन में संक्रमण के अधिकतम मामले 1500 के करीब था। जबकि इस बार 28000 से ज्यादा चला गया था। इसमें बड़ी संख्या में मरीजों को अस्पताल में भर्ती हुए। नतीजन कोविड बयोमेडिकल वेस्ट की बढ़ोतरीके तौर पर देखा गया।
दूसरी तरफ दिल्ली में इस वेस्ट का निस्तारण करने के लिए दो बायोमेडिकल वेस्ट प्लांट चल रहे हैं। दोनों ही दिल्ली स्वास्थ्य सेवाएं के अधीन हैं। देश में सबसे अधिक वायोवेस्ट निकलने के मामले में राजधानी चौथे स्थान पर है। ऐसा में यह जरूरी है कि इस वेस्ट का सही प्रकार से निस्तारण किया जाए। कोविड बायो मेडिकल वेस्ट से संक्रमण फैलने की गंभीरता के मद्देनजर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) इस कोविड वेस्ट पर शुरू से ही निगरानी कर रहा है। सीपीसीबी की ओर से सभी स्थानीय निकायों, अस्पतालों, कोविड केयर सेंटर, आइसोलेशन सेंटर इत्यादि के लिए बकायदा दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं।
निजी एंजेसियां विभिन्न अस्पतालों, क्लीनिक व अन्य स्थानों से कोविड बायो मेडिकल वेस्ट एकत्र कर सीबीडब्ल्यूटीएफ में भेजा जाता है, जहां पर बेहद उच्च तापमान पर इसे नष्ट किया जाता है। यही नहीं अस्पतालों में भी इस कचरे को अलग रखने की व्यवस्था की जाती है। कोविड बायोमेडिकल वेस्ट के लिए हर अस्पताल, नर्सिंग होम , पैथोलाजी, आइसोलेशन सेंटर में अलग व्यवस्था है। ये सारा कचरा उठाकर निजी एजेंसियों के माध्यम से इसका निस्तारण विशेष प्लांट में किया जाता है। इसके अलावा इस कचरे के लिए विशेष तरह के डबल लेयर बैग व अन्य सामान इस्तेमाल किया जाता है।
ये है कोविड बायो मेडिकल वेस्ट पीपीई किट, मास्क, दस्ताने, ह्यूमन टिश्यू, रक्त लगी हुई सामग्री, ड्रेसिंग में इस्तेमाल चीजें, रुई, ब्लड बैग, सुई, ग्लूकोज की बोतल आदि।
विशेषज्ञों की राय, गलत तरीके से देंकने पर नतीजे होंगे घातक बायो मेडिकल वेस्ट का सही तरीके से निस्तारण किया जाना बहुत जरूरी है। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो इससे अन्य गंभीर बीमारियों समेत कोरोना संक्रमण फैलने का भी खतरा रहता है। इसलिए इसका उच्च ताप पर नियमानुसार निस्तारण किया जाना आवश्यक है। ऐसे में न केवल अस्पताल व क्वारंटीन सेंटर बल्कि आम जनमानस की भी यह जिम्मेदारी है कि वह इसमें सहयोग करें। लोग अपने घर के आसपास मेडिकल वेस्ट न देंके। इसको प्रशासन द्वारा निर्धारित स्थानों पर ही डालें। -ड़कमलजीत सिंह, विशेषज्ञ चिकित्सक