राज्घ्य में पुलिस की भारी कमी, कैसे होगी आम आदमी की सुरक्षा
देहरादून। अपराध हो या किसी भी तरह की कोई समस्या सबसे पहले पुलिस की याद आती है। कोई बड़ी वारदात होने पर पुलिस की कार्यशैली ही कठघरे में खड़ी हो जाती है, जबकि वास्तविक स्थिति कुछ अलग है। उत्तराखंड में एक पुलिस कर्मी पर 422 लोगों के सुरक्षा की जिम्मेदारी है, जबकि संयुक्त राष्ट्र के मानकों के मुताबिक, एक पुलिसकर्मी पर 222 लोगों की सुरक्षा होनी चाहिए। ऐेसे में कैसे पुलिस काम करे यह सबसे बड़ा प्रश्घ्न है।
वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर उत्तराखंड के 53,483 वर्ग किमी क्षेत्र में कुल आबादी 101़16 लाख है। जनसंख्या घनत्व 189 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। पुलिस विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में पुलिस विभाग के कुल 28298 पद स्वीत हैं, जिसमें 24 हजार पद भरे हैं और 4298 पद रिक्त हैं। इस हिसाब से एक पुलिस कर्मी पर 422 लोग की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। यानी निर्धारित मानक के अनुसार एक पुलिसकर्मी 200 अधिक लोगों की सुरक्षा में लगा हुआ है।
एक ओर जनसंख्या में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। विकास के लिए तमाम वादे किए जा रहे हैं। अगर जनसुरक्षा की बात करें तो बढ़ती जनसंख्या के आधार पर पुलिस के पास पर्याप्त मानव संसाधनों की कमी है। हर जिले में लगातार फोर्स की मांग हो रही, लेकिन जिलों को पर्याप्त संख्या में पुलिस बल नहीं मिल पा रहा है। जबकिघ् आपदा हो या कानून व्घ्यवस्घ्था, वीआईपी मूवमेंट हो या फिर आम आदमी सुरक्षा हर मौके पर पुलिस ही सबसे आगे होती है। ऐेसे में पर्याप्घ्त पुलिस बल का न होना अपने आप में कई सवाल पैदा करता है।
बात उत्तर प्रदेश की करें तो उत्तराखंड के मुकाबले वहां 15 गुना अधिक पुलिस कर्मी हैं। 2011 में उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 19 करोड़ से अधिक थी। वर्ष 2021 में जनसंख्या का आंकड़ा 25,15,10278 दर्ज किया गया था। इस प्रदेश में 3़3 लाख पुलिस कर्मी हैं। यानी एक पुलिस कर्मी पर औसतन 72 लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है।
कुमाऊं में एक पुलिस कर्मी कर रहा 693 लोगों की सुरक्षारू
डीआइजी र्केप कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार कुमाऊं के छह जनपदों में 6097 पुलिस कर्मी है। इसमें एलआइयू व फायर ब्रिगेड को नहीं जोड़ा गया है। कुमाऊं की आबादी वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, 42़28 लाख है। इस हिसाब से एक पुलिस कर्मी पर 693 लोगों के सुरक्षा की जिम्मेदारी है।
हर साल बढ़ रहा अपराधरू
कुमाऊं की बात करें तो यहां अपराध कम नहीं हो रहा। नैनीताल व ऊधम सिंह नगर जिले में हत्या की घटनाएं लगातार सामने आ जाती हैं। वर्ष 2023 में दोनों जिलों में तकरीबन 150 से अधिक लोगों की हत्या हुई थी। इसके अलावा अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत, नैनीताल व ऊधम सिंह नगर में नशा तस्करी के मामले साल-दर-साल बढ़ रहे हैं।