महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने की जरूरत

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श्रीनगर गढ़वाल : अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस सप्ताह के अवसर पर मानविकी एवं समाज विज्ञान संकाय एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त तत्वावधान में भारत में बढ़ती महिला हिंसा और समाधान के रास्ते विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस मौके पर बतौर मुख्य वक्ता प्रो. हिमांशु बौड़ाई ने नारीवादी दृष्टिकोण के विकासक्रम तथा इसके वर्तमान पक्ष पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मनुष्यों में प्रकृति प्रदत्त असमानताएं थी, लेकिन धीरे-धीरे समाज द्वारा उसमें नए तथ्यों को जोड़कर महिलाओं को कमजोर बना दिया। महिला हिंसा के समाधान के तौर पर उन्होंने कहा कि अब महिलाओं को हिंसा से बचाने के लिए रास्ते तलाशने के बजाय पुरुषों को हिंसा ना करने की सीख दी जानी चाहिए। राजनीति विज्ञान विभाग के डॉ. राकेश नेगी ने महिलाओं की ऐतिहासिक सामाजिक स्थितियों पर दृष्टि डालते हुए सदियों से हो रही महिला हिंसा पर विस्तार से जानकारी दी। महिला हिंसा को खत्म करने के लिए डॉ. नेगी महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने की बात कही। बेस अस्पताल श्रीनगर के मनो वैज्ञानिक डॉ. मोहित सैनी ने समाज के मनो वैज्ञानिक पक्ष को रखते हुए कहा कि प्राकृतिक रूप से महिला और पुरुषों में बहुत अंतर नहीं होता है। लेकिन सामाजिक ताने-बाने ने इस अंतर को बढ़ा दिया है। हमें सामाजिक तौर पर यह स्वीकार करने की आवश्यकता है कि महिला हिंसा की समस्या सामाजिक व सांस्कृतिक समस्या है। जिसे इस रूप में ही खत्म किया जा सकता है। विवि के अभियंता राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि बाबा साहब अंबेडकर द्वारा किए गए संविधान में महिलाओं की बराबरी के प्रयासों के योगदान को याद रखा जाना चाहिए। डॉ. नरेश कुमार ने कहा कि समाज का ताना-बाना पुरुषों को आगे बढ़ाने में सहायक है। जबकि महिलाओं के लिए समाज इतना सहायक नहीं होता है। संचालन डॉ. शिवानी पांडेय ने किया। मौके पर डॉ. सुभाष लाल, छात्र संघ उपाध्यक्ष रोबिन सिंह, शैलजा, आयुषी थलवाल, देवेंद्र सिंह, लूसी तथा एनएसएस के स्वयं सेवी मौजूद रहे। (एजेंसी)

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