ट्रक संचालकों की हड़ताल का दिखने लगा असर
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए ट्रक चालक, परिचालकों व स्वामियों का धरना चौथे दिन भी जारी रहा। इस दौरान ट्रक संचालकों की हड़ताल का असर पर्वतीय क्षेत्रों पर दिखने लगा है। हड़ताल पर डटे चालक परिचालक अन्य किसी भी ट्रक को पहाड़ नहीं चढ़ने दे रहे। ऐसे में यदि जल्द हड़ताल खत्म नहीं हुई तो परेशानी खड़ी हो सकती है।
चार दिन से ट्रक संचालक, चालक व परिचालक सिद्धबली के समीप धरने पर डटे हुए हैं। ऐसे में आम जन को भी मालवाहक वाहन न मिलने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ा। शुक्रवार को संघ अध्यक्ष दिनेश तडियाल ने बताया कि संघ प्रदेश में भारी वाहनों के ओवरलोड को प्रतिबंधित करने, प्रदेश में अंडरलोड को नियमानुसार लागू करने, हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में भी 25 प्रतिशत जीवीडब्ल्यू को लागू करने, भारी वाहनों की चेकिंग पुलिस से हटाकर परिवहन विभाग को सौंपने, खनिज पदार्थों की ढुलाई का रवन्ना, रॉयल्टी व जीवीडब्ल्यू की क्षमता से निर्गत करने व वाहनों के भार को मापने के लिए सिद्धबली बैरियर पर धर्मकांटा की व्यवस्था करने की मांग को लेकर हड़ताल पर है। कहा कि मांगों का समाधान न होने तक हड़ताल जारी रहेगी। वहीं कोटद्वार से पहाड़ी क्षेत्रों में मालवाहक वाहन न पहुंचने से शुक्रवार को आवश्यक वस्तुओं की किल्लत गहरा गई। कोटद्वार से ही रिखणीखाल, ढ़ाबखाल, गुमखाल, चुंडई, सिसल्डी और अधारियाखाल सहित अन्य पहाड़ी क्षेत्रों के लिए मालवाहक वाहन चलते हैं। शुक्रवार को इन वाहनों के न चलने से इन बाजारों में सब्जी, मुर्गे, अंडे व राशन सहित अन्य जरूरी खाद्य वस्तुओं की सप्लाई नहीं हो पाई। हड़ताल के कारण पहाड़ के विभिन्न गांवों में निर्माण कार्य के लिए सरिया, ईट व बजरी की सप्लाई न होने पर भी निर्माण गति पर असर पड़ रहा है।