डब्ल्यूटीओ की बैठक में एमएसपी से नहीं होगा कोई समझौता, दुनिया के विकसित देश जता रहे आपत्ति

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नई दिल्ली, एजेंसी। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में भारत किसानों को दिए जाने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कोई समझौता नहीं करेगा। दुनिया के विकसित देश भारत में किसानों को दिए जाने वाले एमएसपी को लेकर सालों से आपत्ति जताते आ रहे हैं। 12 से 15 जून के बीच जिनेवा में डब्ल्यूटीओ के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन का आयोजन होने जा रहा है, जिसमें वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल देश का नेतृत्व करेंगे।
डब्ल्यूटीओ की बैठक में रूस-यूक्रेन युद्घ के मसले भी उठेंगे और भारत इस मामले में अपना संतुलित दृष्टिकोण रखेगा। बैठक में खाद्य सुरक्षा के मुद्दे भी उठाए जाएंगे। मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक भारत विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के तहत अनाज का निर्यात करने के लिए तैयार है, लेकिन भारत चाहता है कि जरूरतमंद देशों की खाद्य सुरक्षा के लिए दो देशों के बीच सरकारी स्तर पर भी पब्लिक स्टाक से अनाज निर्यात की इजाजत दी जाए। क्योंकि डब्ल्यूएफपी में अनाज के आयात की काफी लंबी प्रक्रिया होती है और जरूरतमंद देश को समय पर मदद नहीं मिल पाती है।
मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक भारत डब्ल्यूटीओ की बैठक में वैक्सीन निर्माण के लिए पेटेंट में टूट के साथ तकनीक ट्रांसफर की बात को जोरदार तरीके से रखेगा क्योंकि कोरोना के दो साल के बाद भी विश्व के कई देश वैक्सीन के लिए विकसित देशों के मोहताज है। पेटेंट में छूट से विकसित देशों की कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ सकता है, इसलिए विकसित देश पेटेंट में टूट का समर्थन नहीं कर रहे हैं।
मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक भारत डब्ल्यूटीओ की बैठक में देश के मटुआरों के हितों से भी कोई समझौता नहीं करेगा। बैठक में वैश्विक स्तर पर मटुआरों को दी जाने वाली सब्सिडी को खत्म करने पर भी विचार होगा, लेकिन भारत अपने मटुआरों को दी जाने वाली मामूली सब्सिडी को फिलहाल खत्म करने के पक्ष में नहीं है। भारत का कहना है कि विकसित देश व कई अन्य देशों के मुकाबले भारत पहले ही अपने मटुआरों को काफी कम सब्सिडी देता है। ऐसे में भारत चाहेगा कि विकसित देशों की सब्सिडी खत्म की जाए।

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