जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : चाई ग्रामोत्सव के दूसरे दिन बुधवार को ग्राम विकास गोष्ठी और गढ़वाली लोक गीत-नृत्य विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई। इस दौरान नई पीढ़ी को गांव से जोड़ने के उपायों पर चर्चा की गई और गांवों के सुनियोजित विकास पर जोर दिया गया। सांय काल समारोह में संस्कृति विभाग उत्तराखंड की टीम ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। जिस पर दर्शक देर रात तक थिरकते रहे।
विकासखंड जयहरीखाल के ग्राम चाई में ग्रामोत्सव के दूसरे दिन बुधवार को आयोजित ग्राम विकास गोष्ठी का मुख्य अतिथि समाजसेवी प्रकाश चंद्र कोठारी एवं विशिष्ट अतिथि रंगकर्मी डॉ. सतीश कालेश्वरी ने दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। इस अवसर पर कोठारी ने कहा कि गांव चाई आज अपनी अनूठी पहल की वजह से पूरे राज्य व देश के लिए रोल मॉडल बन गया है। कहा कि गांव के विकास का खाका गांव में बैठ कर ही तैयार किया जाना चाहिए और इसमें स्थानीय ग्रामीणों की प्रभावी भूमिका होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि गांव स्वरोजगार व स्वावलंबन के बड़े केंद्र हो सकते हैं। नीति नियंताओं को इस दिशा में गहराई से सोचना चाहिए। विशिष्ट अतिथि संस्कृतिकर्मी डा. सतीश कालेश्वरी ने कहा कि पहाड़ की भू-संपदा को बचाना बहुत जरुरी है। कहा कि जब हम भू-संसाधनों को खरीद-फरोख्त से बचाएंगे तभी पहाड़ बचेगा। उन्होंने लोक भाषा गढ़वाली को बचाने की जरूरत भी जताई। रुद्रप्रयाग नगर पालिका के अध्यक्ष संतोष रावत ने कहा कि पहाड़ की संस्कृति व समाज हर दृष्टि से विशिष्ट है। जिससे बाहर के लोग भी बहुत कुछ सीख सकते हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामोत्सव के माध्यम से संस्कृति संरक्षण का यह प्रयोग अनूठा है और यह हम सबके लिए प्रेरक है। उन्होंने कहा कि ग्राम चाई आज अपनी रचनात्मक सोच व कार्य के बूते पूरे राज्य में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका है। इस अवसर पर सुशील बुडाकोटी, ललन बुडाकोटी, सचिदानंद बुडाकोटी, अशोक बुडाकोटी, संगीत बुडाकोटी आदि ने भी विचार व्यक्त किए। गोष्ठी की अध्यक्षता नवीन बुडाकोटी व संचालन डा. पदमेश बुडाकोटी ने किया। समारोह के द्वितीय सत्र में गढवाली लोक गीत एवं नृत्यों पर लोकगायक धर्मेंद्र रावत के निर्देशन में कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमें बच्चों व महिलाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। चाई ग्रामोत्सव की आज संपन्न दूसरी सांस्कृतिक संध्या आशु कला समिति के नाम रही। संस्कृति विभाग के तत्वावधान में इस ग्रुप के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत थड़िया, चौंफला, बाजूबंद, खुदेड़, घसियारी आदि लोक गीतों पर दर्शक देर रात तक थिरकते रहे। सांस्कृतिक कार्यक्रम का संचालन टीम प्रभारी सुमित्रा रावत ने किया।