22 मई को क्षेत्रीय जनता नियमित आपूर्ति को लेकर आंदोलन की बनायेगी रणनीति
जगमोहन डांगी :
पौड़ी : कल्जीखाल ब्लॉक के 80 गांवों जलापूर्ति के लिए तीस करोड़ की लागत से बनी चिंवाड़ी डांडा पंपिंग योजना जनता की प्यास नहीं बुझा पा रही है। योजना से नियमित जलापूर्ति नहीं होने से लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि योजना को जल संस्थान ने बिना टेस्टिंग के कार्यदाई संस्था जल निगम से अपने अधीन ले लिया, जिसका नतीजा जनता आजतक भुगत रही है। उक्त योजना पूरी तरह सफेद हाथी साबित हुई हैं। कभी इसका पंप फूंक जाता है तो कभी नदी में बोरिंग वाले स्थान पर नदी का गाद आ जाता हैं।
विकासखंड कल्जीखाल के अंतर्गत 80 गांवों के जलापूर्ति के लिए नयारनदी पर बनी चिंवाड़ी डांडा पंपिंग योजना की स्वीकृति मिली। वर्ष 2019 में पंपिंग योजना का कार्य पूर्ण हुआ और 2020-21 में योजना से जनता के लिए पानी की आपूर्ति शुरू कर दी थी। जिसका तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया लोकार्पण किया। इस दौरान बिना टेस्टिंग के ही जल संस्थान को हस्तांतरण करने पर क्षेत्र के बुद्धिजीवी लोगों ने सवाल खड़े किये थे। तब से विगत पांच सालों से यह पंपिंग योजना कभी भी सुचारू रूप से नियमित संचालित नहीं हो पाई, हमेशा विवादित रही है। बता दें कि इस पंपिंग योजना के लिए क्षेत्र की जनता ने दो दशक से लंबे समय तक जन आंदोलन किया था। जनता को पंपिंग योजना से बड़ी उम्मीद थी उक्त योजना से जनता को लाभ होगा, लाभ तो दूर बनेख, घंडियाल सुरल गांव, गढ़कोट, डांगी, नैथाना, धारी, पुण्डोरी, कालेथ जैसे जलविहीन गांवों को भी इसका लाभ नहीं हुआ। इस महत्वपूर्ण पंपिंग योजना से जनता को बड़ी उम्मीदें थी। क्योंकि उक्त योजना लिए जनता ने बड़ा संघर्ष किया। यहां तक की आमरण अनशन तक किया, लेकिन उक्त योजना का लाभ घंडियाल बनेख जैसे बड़े कस्बों को नहीं भी नहीं मिल पा रहा है, जिस कारण जनता पानी की नियमित आपूर्ति को लेकर एक बार फिर मुखर हो रही है। पूर्व प्रमुख सुरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि जल संस्थान उक्त पंपिंग योजना जलापूर्ति नियमित रूप संचालित न होने पर कभी गंभीर नहीं दिखाई दिया, जिस कारण 22 मई को बनेख में जनता के साथ बैठक कर आगे की रणनीति तय की जाएगी।