तीस दिवसीय उत्तराखंडी लोकनृत्य कार्यशाला शुरू

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बच्चे सीखेंगे थडया, चौंफला, चांचड़ी, जौनसारी, कुमाऊनी, पांडव नृत्य के गुर
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : गढ़ज्योति सांस्कृतिक कला मंच द्वारा शहर के रामलीला मैदान में 30 दिवसीय उत्तराखंडी लोकनृत्य कार्यशाला शुरू की गई है। कार्यशाला में लगभग 160 बच्चें प्रतिभाग कर रहे हैं। कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए लोकगायक अनिल बिष्ट ने सांस्कृतिक मंच के प्रयासों की सराहना की। लोकगायक मनोज रावत अंजुल ने कहा कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचने में मंच अपनी बेहतर भूमिका निभा रहा हैं।
गढ़ज्योति सांस्कृतिक कला मंच के अध्यक्ष भरत सिंह रावत ने बताया कि उत्तराखंड की लोक कलाओं संस्कृति और साहित्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शहर के रामलीला मैदान में गढ़ ज्योति सांस्कृतिक कला मंच पौड़ी द्वारा एक महीने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया है। जिसमें नवोदित कलाकारों को विभिन्न प्रकार की नृत्य, उसके महत्व और इतिहास के बारे में भी जानकारी दी जा रही है। एक महीने तक कार्यशाला में हिस्सा लेने वाले बच्चों को प्रदेश के विभिन्न नृत्य थडया, चौंफला, चांचड़ी, जौनसारी, कुमाऊनी, पांडव नृत्य आदि विधाएं सिखाई जाएंगी। बताया कि पिछले 15 सालों से हर साल कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला में अंकित नेगी, राहुल नेगी, सुहानी नौटियाल, आयुषी नेगी, प्रीति रावत, आदिति नेगी, नीरज, ऋषभ, आयुषी बुटोला आदि लोगों द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस मौके पर मंच के सचिव सुदर्शन नेगी, कोषाध्यक्ष मनीष लिंगवाल, संरक्षक विजेंद्र, सहसचिव नरेंद्र नेगी, संरक्षक अशोक थपलियाल आदि मौजूद रहे।

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