भूस्खलन से पुलिंडा गांव को खतरा, फाइल में दबी ग्रामीणों की आस
भूस्खलन से प्रभावित है दुगड्डा ब्लॉक के घाड क्षेत्र का पुलिंडा गांव
पिछले कई दशकों से विस्थापन की मांग कर रहे हैं पुलिंडा के ग्रामीण
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार: वर्ष 1978 से भूस्खलन का दंश झेल रहे दुगड्डा ब्लॉक के घाड़ क्षेत्र के पुलिंडा गांव की आज तक कोई सुध नहीं ली गई है। नतीजा विस्थापन की आस में ग्रामीणों की आंखें पथरा गई हैं। हालत यह है कि विस्थापन को लेकर अब तक की गई कार्रवाई की गई कार्रवाई भी फाइलों में ही दबकर रह गई है। ऐसे में बरसात के साथ भूस्खलन का खतरा बढ़ता जा रहा है। जबकि, विस्थापन की मांग को लेकर ग्रामीण कई बार आंदोलन भी कर चुके हैं। बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है।
जनपद में आपदा की दृष्टि से पुलिंडा गांव संवेदनशील है। वर्ष 1971 में यह गांव भूस्खलन की जद में आया। तब देखते ही देखते गांव के करीब 12 मकान भूस्खलन की भेंट चढ़ गए, जबकि अन्य कई मकानों में दरारें पड़ गई। इतना ही नहीं कई गोशाला भी ध्वस्त हुई। इस सब के बाद कई ग्रामीणों ने अपने आवास भूस्खलन जद से दूर तो बनाए, लेकिन हर बरसात में भूस्खलन का खतरा नए सिरे से बनाए मकानों तक पहुंचने का अंदेशा हमेशा बना रहता है। ग्रामीण कई बार विस्थापन की मांग को लेकर आंदोलन भी कर चुके हैं, लेकिन हर बार आश्वासन से आगे कुछ नहीं हुआ। कभी ड़ेढ़ सौ से अधिक परिवार वाले इस गांव से पलायन के चलते अब करीब पचास परिवार ही रह गए हैं।
पापीडांडा खाम में होना था विस्थापित
विस्थापन को हुए प्रयास उत्तर प्रदेश शासनकाल में वर्ष 1996 में भू-वैज्ञानिकों की एक टीम ने गांव का सर्वे कर अन्यत्र विस्थापित किए जाने की संस्तुति की। लेकिन, कोई फायदा नहीं हुआ। वर्ष 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री के निर्देश पर तत्कालीन आयुक्त ने गांव को लैंसडौन वन प्रभाग के अंतर्गत पापीडांडा खाम में विस्थापित करने की संस्तुति कर दी। वन भूमि हस्तांतरण की कार्यवाही भी शुरू कर दी गई, लेकिन आज तक स्थिति पूर्ववत है। शासन को भेजी रिपोर्ट उप निदेशक, भूवैज्ञानिक भूतत्व एवं खनिजकर्म इकाई पौड़ी गढ़वाल की ओर से अतिसंवेदनशील ग्राम पुलिंठा का सर्वे कर अगस्त 2021 को जिलाधिकारी को अवगत कराते हुए पुलिंठा के समीप दो भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र को चिह्नित करते हुए परिवारों की संख्या का उल्लेख किया गया, जिसमें उनके द्वारा कुछ प्रभावितों की उनके नाम भूमि को उपयुक्त तो कुछ की उपयुक्त होना नहीं पाया बताया गया। पुलिंठा गांव के विस्थापन को लेकर पूर्व में पापीडांडा में सर्वे भी किया गया, लेकिन आज तक विस्थापन का यह मामला शासन-प्रशासन के बीच झूल रहा है।
ग्रामीण कर चुके हैं आंदोलन
भूस्खलन से प्रभावित पुलिंडा गांव के ग्रामीण विस्थापन की मांग को लेकर कई बार अांदोलन भी कर चुके हैं। लेकिन, हर बार उन्हें केवल आश्वासन ही दिया जाता है। यही कारण है कि आश्वासन के बाद भी धरातल पर काम नहीं होने से ग्रामीणों में रोष बना हुआ है।
जिला प्रशासन की ओर से पुलिंठा गांव का सर्वे करवाया गया। जिन परिवारों का विस्थापन होना है, उसमें सर्वे के दौरान टीम की ओर से कुछ भूमि उपयुक्त और कुछ अनुपयुक्त पाई गई। ग्रामीण पूरे गांव को पापीडांडा में विस्थापित करने की मांग कर रहे हैं। प्रशासन ने यह रिपोर्ट शासन को भेज दी है…दीपेश काला, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी पौड़ी गढ़वाल।