पर्यटकों के लिए खोले गए राजाजी राष्ट्रीय पार्क की तीन रेंजों के द्वार अग्रिम आदेशों तक फिर से बंद
देहरादून। उत्तराखंड में राष्ट्रीय पार्कों में सालभर पर्यटन गतिविधियों के संचालन के मंसूबों को झटका लगा है। बीते माह पर्यटकों के लिए खोले गए राजाजी राष्ट्रीय पार्क की तीन रेंजों के द्वार फिर से बंद करने पड़ रहे हैं। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का हवाला देकर नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथारिटी (एनटीसीए) को एक अधिवक्ता की ओर से दी गई शिकायत पर यह कार्रवाई की गई है। एनटीसीए के निर्देश पर राजाजी पार्क प्रबंधन ने चीला, रवासन और मोतीचूर रेंज के द्वार अग्रिम आदेशों तक बंद रखने के आदेश जारी कर दिए हैं।
वन मंत्री हरक सिंह रावत के कोरोना महामारी के कारण प्रदेश को हुए राजस्व हानि की भरपाई को चंद माह पूर्व ही वन विभाग की आय बढ़ाने को विभिन्न दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। इसके तहत उन्होंने राष्ट्रीय पार्क समेत तमाम आरक्षित वन क्षेत्रों में सालभर पर्यटन गतिविधियां संचालित करने का निर्णय लिया था। ऐसे में बीते सितंबर से राजाजी पार्क की विभिन्न रेंज के द्वार पर्यटकों के लिए खोल दिए गए। मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक के निर्देश पर बीते एक सितंबर को नए पर्यटन जोन चीला के अंधेर-गोहरी-मिलान तक के वन मोटर मार्ग को पूरे वर्ष के लिए खोल दिया गया था। जबकि, चीला पर्यटक ट्रैक को भी 15 नवंबर की जगह एक अक्टूबर से खोलने के भी निर्देश दिए गए थे। सत्यनारायण से कांसरो तक मोतीचूर पर्यटक मार्ग को भी पूरे वर्ष के लिए खोल दिया गया था। पूर्व में उक्त ट्रैक साल में केवल 15 नवंबर से 30 जून तक खोला जाता था। नई दिल्ली निवासी अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल ने बीते छह सितंबर को एनटीसीए को पत्र लिख आपत्ति जताई थी। जिसमें उन्होंने सालभर पर्यटन गतिविधियों को अवैध व नियम विरुद्घ बताया और तत्काल प्रभाव से बंद करने की अपील की। अधिवक्ता ने किसी भी संरक्षित क्षेत्र-टाइगर रिजर्व में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम व एनटीसीए की गाइडलाइन का उल्लंघन किए जाने की बात कही। जिसका संज्ञान लेते हुए एनटीसीए के सहायक वन महानिरीक्षक ने पर्यटन गतिविधियां स्थगित करने के निर्देश दिए। जिस पर राजाजी पार्क के निदेशक डीके सिंह ने शुक्रवार को लिखित आदेश जारी कर उक्त रेंज में गतिविधियों पर रोक लगा दी है।