देहरादून। केन्द्रीय तिब्बतन महिला एसोसिएशन के आह्वान पर परेड ग्राउंड में तिब्बती शरणार्थियों ने रैली निकालकर तिब्बती महिला विद्रोह दिवस की 66 वीं वर्षगांठ मनाई और तिब्बत में शहीद हुए लोगों को याद किया। एसोसिएशन ने तिब्बत की आजादी को लेकर पोस्टर भी लहराए। राष्ट्रीय तिब्बती महिला विद्रोह दिवस की वर्षगांठ पर रैली की शुरुआत परेड ग्राउंड से हुई। जो लैंसडाउन चौक, कनक चौक, तिब्बती बाजार होते हुए वापस परेड ग्राउंड पहुंची। जहां पर चीन के खिलाफ स्लोगन लिखे तिब्बती बड़ी संख्या में मौजूद थे। तिब्बती समाज की महिलाओं ने बताया कि 11 मार्च 1959 को तिब्बत की राजधानी ल्हासा में पोटाला पैलेस के सामने एकत्र तिब्बती महिला संगठन की महिलाओं पर कम्यूनिस्ट चीन सरकार ने दमनकारी रवैया अपनाया। तिब्बती महिला संगठन को निर्वासित कलिम्पोंग, दार्जीलिंग और गंगटोक में तिब्बत की तीनों प्रांतों की सक्षम महिलाओं ने दुबार स्थापित कर संगठन के आंदोलन को जीवित किया है। चीन द्वारा तिब्बत में जबरन बड़े बांध और पर्यावरणीय गतिविधि से बड़े पैमाने पर पर्यावरण प्रदूषित हुआ है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर और तिब्बत संकट हल करे। मौके पर तिब्बती लोगों ने तिब्बत में मारे गए शहीदों को याद किया।