उत्तराखंड

सचिव आपदा प्रबंधन को बताई जोशीमठ की समस्या

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चमोली। जोशीमठ में भूधंसाव की समस्या दिनों दिन विकराल होती जा रही है। सैंकड़ों घरों में दरारें आने की बात सामने आयी है। लोग घरों में डरे सहमे हैं। इधर बर्फ का मौसम होने के कारण चिंता और भी बढ़ गयी है। जोशीमठ की इस तात्कालिक समस्या को लेकर जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने सचिव आपदा प्रबंधन को तत्काल उचित कार्यवाही कर प्रभावित लोगों को आवासीय व्यवस्था और ट्रीटमेंट की मांग की है। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष अतुल सती ने बताया सचिव आपदा प्रबंधन को भेजे पत्र में जोशीमठ भूधंसाव के मामले में तत्काल ही जमीनी कार्य किये जाने की जरूरत है। इस सन्दर्भ में 26 अगस्त 2022 को भी एक प्रतिनिधिमंडल ने सुझाव दिये थे। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष ने सचिव आपदा प्रबंधन को भेजे पत्र में लिखा है जिला अधिकारी का एक दिनी सर्वेक्षण स्थिति के व्यापक आंकलन के लिये अपर्याप्त है। इस सन्दर्भ में नगर पालिका परिषद जोशीमठ द्वारा किये गये घरों के सर्वेक्षण को ही तथ्यात्मक मानते हुए उसके अनुरूप ही योजना बनायी जाय। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति का मानना है कि वैज्ञानिक व भूगर्भिक सर्वेक्षण हेतु गठित कमेटी ने भूस्खलन के ट्रीटमेंट हेतु अपनी रिपोर्ट में एक टेक्निकल कमेटी गठित किये जाने की संस्तुति की थी। यह सिफारिश स्वतंत्र वैज्ञानिकों की रिपोर्ट में भी थी, जो सरकार और सचिव आपदा प्रबंधन को प्रेषित की थी। इस कमेटी को तत्काल गठित कर इस सन्दर्भ में सुझाव लिए जाने चाहिये । जिससे ट्रीटमेंट की कार्यवाही वैज्ञनिक व तकनीकी तौर पर सम्भव हो। जोशीमठ संघर्ष समिति की मांग है कि15 जनवरी की बैठक में, स्थानीय प्रतिनिधियों के बतौर जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति को भी शामिल किया जाए।
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने जोशीमठ की भौगोलिक स्थिति पर 1976 की मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट को सर्वाधिक उल्लेखनीय बताया है। संघर्ष समिति ने कहा जोशीमठ में लोगों के वैकल्पिक व्यवस्था के लिए प्रयाप्त भूमि है। जोशीमठ नगर में ही फल संरक्षण विभाग की भूमि, कोटि फार्म की भूमि, औली में सरकार द्वारा अधिग्रहित भूमि के अतिरिक्त भी भूमि उपलब्ध है। इन भूमि का तत्काल भूगर्भिक सर्वेक्षण करवाकर लोगों के लिए आवास की व्यवस्था की जा सकती है।

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