तोताघाटी में यातायात शुरु
नई टिहरी। ऋषिकेश-बदरीनाथ राजमार्ग पर तोताघाटी में शुक्रवार को आखिर यातायात बहाल हो गया। एनएच की ओर से प्रशासन को खतरा बनी चट्टानों को पूरी तरह हटाये जाने की रिपोर्ट सौंप दिये जाने के बाद यहां यातायात शुरू हो गया। हालांकि इसमें अब एसडीएम स्तर से औपचारिक कार्रवाई ही की जानी शेष है। बदरीनाथ हाईवे पर देवप्रयाग के तोताघाटी में बीते 22 मार्च से कटिंग कार्य शुरु किया गया था। तब एनएच प्रशासन की ओर से दस दिनों में काम पूरा किए जाने की बात कहते हुए हाईवे पर शटडाउन भी लिया गया। मगर एनवक्त पर कोरोना की शुरुआत होने से मजदूरों ने पलायन शुरू कर दिया। जिसके बाद केवल चालीस फीसदी मजदूरों के रहने व डीजल आदि की सप्लाई बन्द होने से कटिंग का काम धीमा पड़ गया। बाद में वाहनों की आवाजाही बहाल करने की कोशिशें तब बेकार हो गयी जब भारी बारिश से राजमार्ग पर कई जगह भू-स्खलन शुरू हो गया। तत्कालीन डीएम मंगेश घिल्डियाल भी इसके चलते तोताघाटी में निरीक्षण करने नहीं पहुंच पाये थे। जिसके बाद एनएच ने कटिंग कार्य के लिए प्रशासन से फिर 12 जून से करीब 45 दिनों का क्लोजर मांगा। शटडाउन के दौरान श्रीनगर से ऋषिकेश जाने वाले वाहनो को मलेथा तथा देवप्रयाग क्षेत्र के लिए वाहन खाडी- गजा- चाका होकर गुजरे। इधर क्षेत्र में जारी बारिश से तोताघाटी में कटिंग का काम काफी जोखिम भरा भी बन गया। इसमें दो जेसीबी ऑपरेटरों की मलबे दबने से भी मौत हो गयी। अगस्त में सिर्फ छोटे वाहनों की आवाजाही की अनुमति तोताघाटी में दी गयी मगर भू स्खलन की स्थिति बनी रही। एनएच ने 8 सितम्बर को फिर एक महीने का क्लाजेर लिया। लेकिन एक माह बाद ब्लास्टिंग से भारी मलबा यहां आ गिरा, जिसके चलते सड़क खोलने में दस दिन का समय और लग गया। इस बीच यहां चटकी चट्टनों को खतरा मानते हुए प्रशासन की ओर से गठित टीम ने उन्हें भी हटाये जाने को कहा। जिन्हे मजदूरों ने तीन दिनों में आखिरकार 22 अक्तूबर को पूरी तरह हटाया दिया। जिसके बाद तोताघाटी मे ऋषिकेश व श्री नगर की ओर से छोटे वाहनो की आवाजाही भी शुरू हो गयी। हालांकि अभी यहां बड़े वाहनों पर रोक लगी है। ऑल वेदर रोड़ टीम लीडर जेके तिवारी का कहना है कि यहां से बड़े वाहनो के जाने में भी अब कोई दिक्कत नहीं है। तोताघाटी के पूरी तरह खुलने से पिछले सात माह से सन्नाटे में डूबे यात्रा के पड़ाव तीनधारा, बछेलीखाल, सौड़पानी, सैनिकपुरम सहित देवप्रयाग तीर्थ में फिर से रौनक लौटने की उम्मीद बन गयी है। मालूम हो देवप्रयाग क्षेत्र में इस दौरान सतपुली मार्ग के जरिये सब्जी, दूध आदि की सप्लाई बनी रहने से लोगों को कुछ राहत बनी रही। 1930 में टिहरी नरेश महाराजा कीर्ति शाह के आदेश पर ठेकेदार तोता सिंह रांगड़ ने सड़क निकालने का कठिन कार्य किया। देवप्रयाग से 22 किमी दूर इस घाटी को फिर उनके ही नाम से जाना गया।