खतरे से अंजान पर्यटक, खोह नदी में लगा रहे डुबकी

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गत वर्ष खोह नदी में नहाते समय पर्यटकों की हुई थी मौत
पूर्व में हुए हादसों के बाद भी सिस्टम बना है लापरवाह
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : गर्मी के मौसम में कोटद्वार व आसपास के क्षेत्र में घूमने के लिए पहुंचने वाले पर्यटकों को खोह नदी अपनी ओर आकर्षित कर रही है। लेकिन, खोह नदी के खतरों से अंजान डुबकी लगा रहे पर्यटकों की लापरवाही कब उनके जीवन पर भारी पड़ जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता। गत वर्ष नदी में डूबने से डेढ़ माह के भीतर चार से अधिक लोगों की मौत भी हो गई थी। पर्यटक व स्थानीय लोगों की सुरक्षा को लेकर जिम्मेदार सिस्टम भी लापरवाह बना हुआ है।
मैदान में भीषण गमी के दौरान बड़ी संख्या में पर्यटक पहाड़ घूमने के लिए पहुंचते हैं। कोटद्वार से दुगड्डा के मध्य सफर के दौरान खोह नदी का ठंड़ा पानी उन्हें अपनी ओर आकर्षित करता है। ऐसे में पर्यटक राष्ट्रीय राजमार्ग पर अपने वाहनों को खड़ा कर कहीं भी नदी में नहाने के लिए उतर जाते हैं। लेकिन, शांत होकर बहने वाली खोह नदी में कई ऐसे स्थान हैं जहां पानी की गहराई का अंदाजा लगाना काफी मुश्किल होता है। ऐसे में जरा की लापरवाही पर्यटकों के जीवन पर भारी पड़ सकती है। कुछ वर्ष पूर्व ईद पर घूमने पहुंचे उत्तर प्रदेश, जिला बिजनौर, नगीना निवासी चार युवकों की दुगड्डा अमसौड़ के समीप खोह नदी में डूबने से मौत हो गई थी। इन युवकों को भी नदी की गहराई का अंदाजा नहीं था और वह नहाते-नहाते नदी के बीच भंवर में फंस गए थे।

वर्ष-2024 में हुई मौतें
वर्ष-2024 में गर्मी के दौरान भी खोह नदी में नहाने वालों की भीड़ उमड़ी हुई थी। 31 मार्च को सिद्धबली के समीप खोह नदी में नहाते समय डूबने से मेरठ निवासी एक 24 वर्षीय युवक की मौत हो गए थी। वहीं, 18 अप्रैल को भी नहाते समय बिजनौर निवासी 17 वर्षीय रियाज की भी डूबने से मौत हो गई थी। 19 मई को खोह नदी में डूबने से नजीबाबाद निवासी अफसान की मौत हो गई थी। इसी के कुछ दिन बाद एक और युवक की डूबने से मौत हो गई थी। जबकि, कई लोगों को डूबने से भी बचा लिया गया था।

चेतावनी बोर्ड तक नहीं
खोह नदी में लगातार पर्यटकों की भीड़ बढ़ती जा रही है। ऐसे में बाहर से आने वाले पर्यटकों को नदी की गहराई का अंदाजा नहीं रहता। चैंकाने वाली बात तो यह है कि लगातार हो रहे हादसों के बाद भी सरकारी सिस्टम की ओर से उक्त स्थानों पर एक चेतावनी बोर्ड तक नहीं लगाया गया है। वहीं, लैंसडौन वन प्रभाग क्षेत्र से सटे होने के कारण नदी में हाथियों की भी धमक बनी रहती है। गर्मी में हाथी झुंड के साथ पानी पीने नदी में पहुंचता है।

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