अल्मोड़ा(। ताकुला विकासखंड के पाटिया गांव में बुधवार को गोवर्धन पूजा के अवसर पर परंपरागत पाषाण युद्ध बग्वाल का आयोजन किया गया। सदियों से चली आ रही यह अनूठी परंपरा इस बार भी पूरे उत्साह और रीति-रिवाज के साथ संपन्न हुई। पाटिया क्षेत्र के पचघटिया में खेले जाने वाली इस बग्वाल में पाटिया, भटगांव, जाखसौड़ा और कसून गांवों के योद्धाओं ने भाग लिया। प्रतीकात्मक इस पाषाण युद्ध में दो दल आमने-सामने होकर एक-दूसरे पर पत्थर फेंकते हैं। परंपरा के अनुसार, जिस दल का योद्धा सबसे पहले नदी का पानी पी लेता है, उसे विजयी माना जाता है। बग्वाल की शुरुआत पाटिया गांव के अगेरा मैदान में गाय की पूजा के साथ होती है। मान्यता है कि पिलख्वाल खाम के लोग चीड़ की टहनी खेत में गाड़कर बग्वाल शुरू करने की अनुमति मांगते हैं। इसके बाद दोनों दल पचघटिया नदी के किनारों से एक-दूसरे पर पत्थरों की बौछार करते हैं। लगभग 40 मिनट तक चला यह युद्ध तब समाप्त हुआ जब कोट्यूड़ा के रणजीत सिंह ने नदी में जाकर पानी पी लिया। इसके बाद दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को बधाई दी और अगले वर्ष फिर मिलने का संकल्प लिया। बग्वाल के दौरान तीन लोग हल्के रूप से घायल भी हुए, लेकिन किसी बड़ी अनहोनी की सूचना नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह परंपरा आपसी सहभागिता से वर्षों से चली आ रही है। हालांकि, इसका आरंभ कब और किस कारण हुआ, इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है। ग्रामीणों का मत है कि यदि सरकार और प्रशासन इस पारंपरिक आयोजन को प्रोत्साहित करें, तो चंपावत की देवीधुरा बग्वाल की तरह पाटिया की बग्वाल भी पर्यटन के मानचित्र पर अपनी पहचान बना सकती है।