उत्तराखंड

पैरों की थैरेपी के लिए प्रशिक्षण कैम्प शुरू

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देहरादून। चारधाम यात्रा मार्ग और राज्य के 15 ट्रेकिंग रूट पर स्वरोजगार के अवसर पैदा करने के लिए पैरों की थैरेपी शुरू होगी। पर्यटन विकास बोर्ड की ओर से इसके लिए वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के विशेषज्ञों से प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया है। उत्तरकाशी में एक महीने और रुद्रप्रयाग में 15 दिनों का प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। पर्यटन एवं लोक निर्माण मंत्री सतपाल महाराज ने मंगलवार को पत्रकार वार्ता के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण का मकसद युवाओं को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है। महाराज ने कहा कि पैरों की मसाज प्राचीन चिकित्सा है। यह एक तरह की वैकल्पिक चिकित्सा हैजो भारत साहित अन्य एशियाई देशों में काफी प्रचलित है। उन्होंने कहा कि पैरों की मसाज ऐसी थ्योरी पर काम करती है जो शरीर के अंगों और तंत्रों से जुड़ी होती है। शरीर के कुछ अंगों पर दबाव देने से शरीर को कई तरह के फायदे होते हैं। बिना तेल या लोशन का इस्तेमाल किए अंगूठे, अंगुली पैर और हाथ पर दबाव डाला जाता है। महाराज ने कहा कि पैरों की मसाज करने से तनाव काफी कम हो जाता है। यह चिकित्सा ऊर्जा के प्रवाह को सुनिश्चित करता है और व्यक्ति को शांति और आराम मिलता है। उन्होंने कहा कि यात्रा पर आने वाले कई लोग सिरदर्द, थकान और अनिद्रा के साथ ही कई तरह की समस्याओं का सामना करते हैं। इस थेरपी से उन्हें मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण चारधाम और अन्य स्थानों पर जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए मदद्गार साबित होगा। साथ ही स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के द्वार भी खुलेंगे। उन्होंने कहा कि इससे स्थानीय लोगों की अच्छी आय भी हो सकती है।

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