जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के पौड़ी परिसर में जल गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक पेयजल की सुरक्षा व संरक्षा के लिए प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण में जल नमूने में जीवाणु संबंधी परीक्षण, अवशिष्ट मुक्त क्लोरीन, पीएच, नाइट्रेट, लौह, कुल कठोरता, कुल क्षारीयता, क्लोराइड, फ्लोराइड सहित कई जल संबंधी मानकों की जांच का प्रशिक्षण दिया। कार्यशाला में एनएसस के स्वयंसेवक, एनसीसी कैडेट, शोध छात्र, परास्नातक छात्र के साथ ही कई स्कूलों के शिक्षकों ने हिस्सा लिया। शुक्रवार को पौड़ी परिसर में आयोजित कार्यशाला में मुख्य अतिथि पौड़ी परिसर के निदेशक प्रो.प्रभाकर बड़ोनी ने कहा कि जल स्त्रोतों की गुणवत्ता व सुरक्षा के लिए शैक्षणिक संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने प्रदेश में स्पर्श गंगा कार्यक्रम के तहत किए गए व्यापक जल संरक्षण कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए एनएसएस व एनसीसी के सहयोग की सराहना की। जैविक विज्ञान के डीन प्रो.एके डोबरियाल ने कहा कि प्रकृति में अल्प मात्रा में उपलब्ध पेयजल का संरक्षण अति आवश्यक है। जल संस्थान के सहायक अभियंता एसएस जेथूरी ने पौड़ी जिले में अवस्थित जल गुणवत्ता जांच की स्थापित लैबों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने जिले की जल गुणत्ता जांच के परिणामों के बारे में भी बताया। यूकॉस्ट के समंवयक, पीएमयू के राज्य समंवयक डा.प्रशांत सिंह ने प्रदेश में पेयजल स्त्रोतों की जल गुणवत्ता के मूल्यांकन व निगरानी सहित एनएबीएल प्रमाणीकरण प्राप्त प्रदेश की 9 लैबों की जल गुणवत्ता जांच की जानकारी दी। कार्यशाला में जल स्त्रोत की जांच जल गुणवत्ता के लिए पीएमयू द्वारा तैयार जल परीक्षण फील्ड टेस्टिंग किट द्वारा जल नमूनों की जांच का प्रशिक्षण भी दिया गया। इस मौके पर कार्यशाला के संयोजक डा.प्रशांत सिंह, डा.एमसी पुरोहित, प्रो.राजेश डंगवाल, प्रो.सीवी कोटनाला, डा.जयदीप बड़थ्वाल, डा.मनोज कुमार, डा.राजेश्वरी चौधरी, विकास कंडारी, अर्चित पांडेय, शिवानी आदि शामिल थे।