ब्रहमलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती को श्रद्घांजलि दी
नई टिहरी। उत्तराखंड स्थित ज्योतिष्पीठ व द्वारिका शारदापीठ, गुजरात के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने पर देवप्रयाग के तीर्थ पुरोहित समाज में शोक की लहर फैल गई। सोमवार को तीर्थ पुरोहितों ने शंकराचार्य को तीर्थ पुरोहित समाज का परम हितैषी व मार्ग दर्शक बताते हुए श्रद्घांजलि दी। वर्ष 1973 में ज्योतिष पीठाधीश्वर पद पर आसीन होने के बाद स्वामी स्वरूपानंद का बदरीनाथ, देवप्रयाग तीर्थ पुरोहित समाज से काफी घनिष्ठता व आत्मीय पूर्ण संबंध रहे थे। नब्बे के दशक में देवप्रयाग तीर्थ के भ्रमण में उन्होंने यहां जोगीवाडा स्थित पंडा पंचायत की भूमि पर वेद वेदांग पाठशाला खोलने की भी घोषणा की गई थी। जिसका कार्य किसी कारणवश शुरू नहीं हो पाया था। तीर्थ पुरोहित समाज के स्वतंत्रता सेनानी प्रेमलाल वैद्य, पं़ सत्यनारायण शास्त्री, शशिकांत ध्यानी आदि से उनके निकट संबंध थे। तीर्थ पुरोहित रमाबल्लभ भट्ट के अनुसार 1990 में उन्हें तीन माह स्वामी स्वरूपानंद के साथ बनारस में रहने का सौभाग्य मिला था। जिसमें उन्हें हिंदू धर्म के सच्चे सेवक व क्रांतिकारी विचारक के रूप में देखा था। देवप्रयाग से शुरू होने वाली पावन गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करवाने में उनकी अहम भूमिका को भी तीर्थ पुरोहितों ने याद किया। गंगा स्वच्छता के प्रति उनमें विशेष आग्रह रहा था, जिसके कारण वह देवप्रयाग वासियों को इसकी स्वच्छता बनाए रखने के लिए प्रेरित करते रहते थे। बदरीनाथ धाम में तीर्थ पुरोहित समाज की ओर से धर्म मूर्ति शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद का अनेक बार अभिनंदन किया गया था। देवप्रयाग तीर्थ पुरोहित समाज आदि शंकराचार्य के साथ दक्षिण भारत से ही उत्तराखंड में आया था। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के ब्रह्मलीन होने पर श्री बदरीश पंडा पंचायत अध्यक्ष प्रवीन ध्यानी सहित सभी पदाधिकारियों, चारधाम तीर्थ पुरोहित परिषद अध्यक्ष ष्ण कांत कोटियाल, श्री रघुनाथ मंदिर समिति सचिव विजय जोशी, गंगा सेवा समिति अध्यक्ष माधव मेवाड़ गुरु, पूर्व पंडा पंचायत अध्यक्ष मुकेश प्रयागवाल, आचार्य भास्कर जोशी, ड़ शैलेंद्र नारायण कोटियाल, दिनकर बाबुलकर, वेदप्रकाश भट्ट आदि ने गहरा शोक जताया।