त्योहारी और विवाह सीजन में कोरोना की चुनौती
-केरल से सीखा सबक तो कोरोना के विस्फोट से बच जाएगा उत्तराखंड
देहरादून। अनलॉक-पांच की रियायतें और अब त्योहारी सीजन की तैयारी के साथ कोविड-19 महामारी के खतरे को भी ध्यान में रखना होगा। स्वास्थ्य सुविधाओं और चिकित्सकीय सेवा के मामले में देश के सभी राज्यों के लिए मिसाल माने जाने वाले केरल से पर्यटन राज्य उत्तराखंड ने सबक नहीं सीखा तो कोरोना के विस्फोट से कोई नहीं बचा पाएगा।केरल राज्य में कोरोना के मामले इसकी तस्दीक कर रहे हैं। केरल में 22 अगस्त से दो सितंबर तक ओणम का त्योहार मनाया गया। केरल के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर यह तथ्य सामने आया है कि दो सिंतबर को केरल में 1547 कोरोना संक्रमित मिले और ठीक एक महीने बाद दो अक्तूबर को यह आंकड़ा 9258 था। उत्सव के बाद केरल में कोरोना का ग्राफ लगातार उछाल मार रहा है। पिछले कुछ दिनों से उत्तराखंड में कोरोना मामलों की स्थिति में सुधार हुआ है। 11 अक्तूबर तक प्रदेश में 55051 केस थे, जिनमें से 46642 संक्रमित ठीक हो चुके थे। पिछले डेढ़ महीनों में राज्य का रिकवरी रेट 85 फीसदी है, जो राष्ट्रीय औसत के तकरीबन बराबर है। 7373 सक्रिय मामले हैं।
मृत्यु दर 1.36 प्रतिशत जरूर चिंता में डालने वाली है। लेकिन अभी राज्य में कोरोना की रिपोर्ट बहुत चिंताजनक नहीं है। पिछले एक हफ्ते से मामले कम हुए हैं। लेकिन त्योहारी और विवाह सीजन सबसे बड़ी और कठिन चुनौती के तौर पर सामने आ रहा है। इस दौरान यदि सावधानी नहीं बरती गई तो सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा।
पर्यटन राज्य होने के कारण उत्तराखंड के सामने दोहरी चुनौती है। अगले 75 दिनों में त्योहारों की धूम रहने वाली है। 17 अक्तूबर से नवरात्र शुरू होंगे। उसके बाद दशहरा, दीवाली, छठ पूजा, ईद और यह उत्सव नए वर्ष के जश्न तक जारी रहेंगे। पूरे देश में त्योहारी सीजन पर छुट्टियां मनाने लोग उत्तराखंड आएंगे। अनलॉक-पांच में उत्तराखंड ने पर्यटकों और श्रद्धालुओं के दरवाजे खोल दिए हैं। जाहिर है कि कोरोना का खतरा बढ़ जाएगा।
बढ़ती सर्दी के साथ संक्रमण का बड़ा खतरा
उत्तराखंड राज्य के सामने दूसरा सबसे बड़ा खतरा सर्दी का मौसम है। विशेषज्ञों का मानना है की शीत ऋतु में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए इस सीजन में खास एहतियात बरतने की जरूरत है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जिस तरह से कोरोना संक्रमण से बचाव को जन जागरूकता के आंदोलन पर जोर दे रहे हैं। इसकी वजह त्योहारी सीजन में कोरोना की चुनौती है।
वे जानते हैं कि यदि सामाजिक दूरी, मास्क लगाने की आदत में ढील बरती गई तो कोरोना का खतरा बढ़ जाएगा। वीडियो संदेश, इश्तहारों, सरकारी दफ्तरों में शपथ दिला कर प्रदेश सरकार लोगों को जागरूक करने का प्रयत्न कर रही है। लेकिन यह सब कुछ आम नागरिकों के खुद की सजगता पर निर्भर करेगा कि वे कितने सजग रहते हैं।
केरल के 50 दिनों के कोरोना केस के तुलनात्मक आंकड़ों से जो तस्वीर सामने आई वह विस्फोटक है। उत्तराखंड राज्य के लिए यह एक सीख हो सकती है। इन आंकड़ों के जरिये लोग यह समझ सकते हैं कि लापरवाही बरतने से हमारे राज्य के सामने कितनी मुश्किल खड़ी हो सकती है। इसलिए किसी भी सूरत में हमें त्योहारों और उत्सवों की धूम में अपनी जिम्मेदारी को नहीं भूलना है।
– अनूप नौटियाल, संस्थापक, सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज फाउंडेशन