केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी

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नई दिल्ली । गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी। कर्मचारी संगठनों ने इस घोषणा का स्वागत किया है, मगर इस बाबत कई तरह के सवाल भी उठाए जाने लगे हैं। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। 8वें वेतन आयोग के गठन के बाद उसकी रिपोर्ट के आने पर सिफारिशें 1 जनवरी 2026 तक लागू होने की उम्मीद है। आठवां वेतन आयोग कर्मचारियों की सैलरी, भत्ते और पेंशन आदि की समीक्षा करेगा।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में 8वें वेतन आयोग के गठन का निर्णय लिया गया।इस बीच कर्मचारी संगठनों ने आयोग के गठन को लेकर कुछ गंभीर सवाल भी खड़े किए हैं। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि अभी तक जितने भी आयोग गठित हुए हैं, उनकी रिपोर्ट आने और उसे लागू करने में लगभग दो से ढाई वर्ष लगते रहे हैं। इस बार स्थिति दूसरी है। पहली जनवरी 2026 से आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें यानी वेतनमान रिवाइज होना है। मात्र एक साल में किस तरह से आयोग अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा। उसे सरकार को सौंपेंगा और सरकार उस पर विचार कर सकेगी। वेतन आयोग के गठन को लेकर केंद्रीय कर्मचारी संगठन, दो साल से आवाज बुलंद कर रहे थे।
इससे पहले कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव ने इस विषय में पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था। उन्होंने पीएम से आग्रह किया कि वर्तमान परिस्थितियों में बिना किसी विलंब के आठवें वेतन आयोग का गठन किया जाए। वेतनमान रिवाइज, 10 नहीं, बल्कि 5 साल में होना चाहिए। मुद्रास्फीति का स्तर बढ़ रहा है, ऐसे में दस साल का वर्तमान संशोधन कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए अनुकूल नहीं है। यादव कहते हैं कि बेशक यह कर्मचारी संगठनों के लिए राहत की खबर है। हालांकि अभी इस बाबत कुछ ज्यादा नहीं कहा जा सकता। वजह, सरकार ने अभी इस आयोग की कोई समय सीमा तय नहीं की है। आयोग का चेयरमैन एवं सदस्य कब नियुक्त होंगे। इस घोषणा का ‘टर्म आफ रेफरेंस’ क्या है, अभी इस बारे में कोई नहीं जानता। जब यह सब बातें सार्वजनिक होंगी, तब इस संबंध में ठोस आधार पर कुछ कहा जा सकता है।
उनका कहना है कि इस बार सरकार चाहे तो एक रिकार्ड बन सकता है। अतीत में ऐसा कम ही देखने को मिलता है, जब आयोग के गठन और उसकी रिपोर्ट को लागू करने में दो वर्ष से कम वक्त लगा हो। पहले यह होता था कि वेतन आयोग के सदस्य, विभिन्न तरह की जानकारी एकत्रित लेने के लिए विदेशों के टूर करते थे। कई देशों के कर्मचारी संगठनों का वेतनमान देखा जाता था। अध्ययन भ्रमण में बहुत समय लगता था। अब सब कुछ डिजिटल हो गया है। किसी भी देश के कर्मचारियों के वेतनमान से जुड़ी जानकारी आनलाइन मिल सकती है। दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था एवं वित्त मंत्रालयों के नए कदमों का अध्ययन भी डिजिटल माध्यम से हो सकता है। ऐसे में संभव है कि इस बार कम समय लगे। दो दशक पहले डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान वेतन आयोग के गठन से लेकर उसे लागू करने तक, इस प्रक्रिया में 18 महीने लगते थे। उससे पहले दो साल लगते थे।
इस बार मोदी सरकार कुछ नया कर सकती है।
कर्मचारी संगठनों का कहना था कि सरकार को वेतन आयोग का गठन, गत वर्ष ही कर देना चाहिए था। प्रतिभाशाली कर्मचारी अच्छा नेतृत्व और सुशासन प्रदान करने में सहायक होते हैं। भारत सरकार एक आदर्श नियोक्ता है, उसे अपने कर्मचारियों को आरामदायक जीवन प्रदान करने का ध्यान रखना चाहिए। समय पर वेतन संशोधन का लाभ यह होता है कि वे केंद्र सरकार के कार्यक्रमों और नीतियों के कार्यान्वयन के लिए अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सकेंगे।

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