संघ ने नियमावली निरस्त करने की मांग

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संघ का आरोप नियमावली बनने से शिक्षकों के लिए प्रमोशन के अवसर हो जाएंगे खत्म
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : राजकीय शिक्षक संघ ने उत्तराखंड राज्य शैक्षिक (अध्यापन संवर्ग) राजपत्रित सेवा नियमावली 2022 में संशोधन किए जाने पर नाराजगी जताई है। संघ ने नियमावली को निरस्त करने और प्रधानाध्यापक और प्रधानाचार्य के पदों पर शतफीसदी पद्दोन्नति के लिए कार्रवाई करने की मांग उठाई है। संघ का आरोप है कि इस नियमावली के बनने से विभाग में शिक्षकों के लिए प्रमोशन के अवसर खत्म हो जाएंगे।
राजकीय शिक्षक संघ के मंडलीय मंत्री डा. हेमंत पैन्यूली ने प्रांतीय कार्यकारिणी को भेजे गए ज्ञापन में कहा है कि बीते दिनों उत्तराखंड राज्य शैक्षिक (अध्यापन संवर्ग) राजपत्रित सेवा नियमावली 2022 में संशोधन प्रस्ताव कर कैबिनेट ने सभी प्रस्ताव स्वीकृत कर दिए हैं। कहा कि संघ इस नियमावली का विरोध करते हुए प्रधानाचार्य के सभी 1386 पदों पर शत प्रतिशत पद्दोन्नति की मांग करता है। कहा कि वर्तमान मे प्रदेश मे प्रधानाचार्यों के 1386 पद स्वीकृत हैं जो कि शतफीसदी पद्दोन्नति से ही भरे जाते हैं। कहा कि शतफीसदी पद्दोन्नति से सरकार पर कोई भी व्यय भार नहीं पडे़गा। पहले सरकार द्वारा पूर्व में शैक्षिक एवं प्रशासनिक संवर्ग बनाकर शिक्षकों के लिए विभाग में पद्दोन्नति के अवसरों को खत्म कर दिया गया है अब इस नियमावली के बनने से विभाग में शिक्षकों के लिए प्रमोशन के अवसर खत्म हो जाएंगे। उन्होंने प्रांतीय कार्यकारिणी से इस मुद्दे पर तत्काल मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री से वार्ता कर उक्त नियमावली को निरस्त करवाने और प्रधानाध्यापक, प्रधानाचार्य के पदों पर शतफीसदी पद्दोन्नति के लिए कार्रवाई करने की मांग उठाई है।

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