संपादकीय

चारधाम व्यवस्थाओं पर हंगामा

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चार धाम यात्रा की शुरुआत के साथ बिगड़ी व्यवस्थाएं विपक्ष के निशाने पर है जिसे लेकर अब राजनीति भी गरमाने लगी है। इधर कांग्रेस ने चार धाम यात्रा के आयोजन को कटघरे में खड़ा करते हुए व्यापक व्यवस्थाएं न करने का आरोप लगाया तो वही भाजपा ने भी कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए सरकार की उपलब्धियां से निराश होने की बात कही। इधर सोशल मीडिया पर चार धाम यात्रा से जुड़े पोस्ट भी सरकार की एक मुसीबत बनते जा रहे हैं जिसे देखते हुए अनर्गल प्रचार व चार धाम यात्रा के खिलाफ भ्रामक समाचार छापने वालों पर भी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं, जिसके तहत उत्तर प्रदेश के एक दैनिक अखबार के संवाददाता पर मुकदमा दर्ज किया गया है। यात्रा की शुरुआत के साथ ही इस प्रकार के विवाद चिंताजनक है क्योंकि अभी यात्रा का एक बड़ा चरण पूरा होना है और यदि शुरुआत में ही इस प्रकार के हालात और आरोप प्रत्यारोप सामने आने लगे तो कहीं ना कहीं यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में असमंजस की भावना भी उत्पन्न होगी। उत्तराखंड में आई प्राकृतिक आपदा के बाद सरकार ने कुशल प्रबंधन की नीति को आधार बनाते हुए यात्रियों को हर संभव सुविधा देने का प्रयास किया है हालांकि यात्रियों की रिकॉर्ड तोड़ संख्या कहीं ना कहीं व्यवस्थाओं पर भारी पड़ती नजर आई है। इसके मायने यह नहीं है कि यात्रा असुविधाजनक है और व्यवस्थाएं संभालने में प्रशासन को दिक्कतें आ रही है। किसी भी धार्मिक आयोजन में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने से ऐसे हालात पैदा हो ही जाते हैं और इन परिस्थितियों में पक्ष हो या विपक्ष सभी को अपने प्रदेश की गरिमा और धार्मिक स्थलों की मर्यादा को बनाए रखने की नीति पर चलना चाहिए। सरकार का उद्देश्य यात्रियों को हर संभव सुविधा प्रदान करने के साथ-साथ सुरक्षा प्रदान करना भी है, और यही कारण है कि सरकार ने दर्शनों के लिए पंजीकरण व्यवस्था शुरू की है ताकि हर यात्री का पूर्ण बब्यौरा रखा जा सके ताकि किसी भी आपात स्थिति में तत्काल सहायता उपलब्ध हो सके। चार धाम यात्रा को महज यात्रियों की संख्या मात्र से नहीं जोड़ा जा सकता बल्कि यह धार्मिक आयोजन राज्य मे पर्यटन और रोजगार की दिशा में भी काफी सहायक सिद्ध होगा। निश्चित तौर पर पिछले कुछ वर्षों में, खास तौर से आपदा के बाद उत्तराखंड के न केवल चार धाम बल्कि अन्य धार्मिक स्थलों पर भी सुविधाओं में बढ़ोतरी की गई है। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के साथ सरकार ने बेहतर सड़के, सुरक्षा, मेडिकल जैसी सुविधाओं को प्राथमिकता पर रखा है। वर्तमान सीजन में भी कुछ यात्रियों को स्वास्थ्य खराब होने पर एयर एम्बुलेंस से स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचाया गया है। हालांकि राज्य सरकार को इस सत्य से भी पीछे नहीं हटना चाहिए की यात्रा की शुरुआत में ही जो व्यवस्थाएं देखने को मिली है उन पर तत्काल कार्रवाई करते हुए आगे की यात्रा में इसकी पुनरावृत्ति रोकी जाए। स्पष्ट है कि यह कार्य केवल यात्रियों की संख्या में नियंत्रित करते हुए उन्हें चरणबद्ध तरीके से दर्शन करने की व्यवस्था से ही कुशलतापूर्वक संपन्न हो सकता है। भविष्य की चार धाम यात्रा को लेकर सरकार को भी कहीं ना कहीं चिंतन करने की जरूरत है सवाल राजनीति का नहीं है बल्कि श्रद्धालुओं की आस्था और सुरक्षा से जुड़ा हुआ है, जिससे किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जा सकता।

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