देहरादून। उत्तराखंड कैबिनेट ने बुधवार को संशोधित भूमि कानून संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब संशोधित भूमि कानून को चालू बजट सत्र में पेश किया जाएगा, जो 24 फरवरी को समाप्त होगा। बुधवार को विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में नए संशोधित भूमि कानून को मंजूरी दी गई। नए भूमि कानून के तहत हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर जिलों को छोड़कर उत्तराखंड के 11 अन्य जिलों में राज्य से बाहर के लोग बागवानी और कृषि भूमि नहीं खरीद पाएंगे। मामले से वाकिफ अधिकारियों के मुताबिक, उत्तराखंड से बाहर के लोगों को जमीन खरीदने के लिए अब एक हलफनामा देना अनिवार्य होगा ताकि धोखाधड़ी और अनियमितताओं को रोका जा सके। जिलाधिकारियों को भूमि खरीद की अनुमति नहीं मिल पाएगी। सभी मामलों में प्रक्रिया सरकार द्वारा बनाए गए ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से की जाएगी। नए कानून में पूर्व की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार की ओर से साल 2018 में लागू प्रावधानों को समाप्त कर दिया गया है।अधिकारियों ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि का समुचित उपयोग सुनिश्चित करने और अतिक्रमण को रोकने के लिए खेती की जमीन की चकबंदी की जाएगी। राज्य में भूमि खरीद के लिए एक पोर्टल बनाया जाएगा, जहां राज्य के बाहर किसी भी व्यक्ति द्वारा की गई जमीन की खरीद को रिकॉर्ड किया जाएगा। सभी जिलाधिकारियों को जमीन की खरीद बिक्री से संबंधित रिपोर्ट नियमित रूप से राज्य राजस्व परिषद और राज्य सरकार को देनी होगी।
अधिकारियों ने बताया कि नगर निगम सीमा में आने वाली जमीन का इस्तेमाल निर्धारित भू-उपयोग नियमों के अनुसार ही किया जा सकेगा। यदि कोई शख्स नियमों के उलट जमीन का उपयोग करता है तो उक्त जमीन सरकार के पास चली जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि नए भूमि कानून से उत्तराखंड में बाहरी लोगों की ओर से अंधाधुंध जमीन की खरीद पर रोक लगेगी, पर्वतीय क्षेत्रों में जमीन का बेहतर प्रबंधन हो सकेगा। इससे राज्य के मूल निवासी आसानी से जमीन खरीद सकेंगे। साथ ही जमीन की खरीद बिक्री पर राज्य सरकार का नियंत्रण हो जाएगा।