उत्तराखंड में अभी नई जेलों के लिए कुछ और इंतजार करना पड़ेगा
देहरादून। उत्तराखंड में अभी नई जेलों के लिए कुछ और इंतजार करना पड़ेगा। कारण यह कि प्रदेश की मौजूदा आर्थिक स्थिति को देखते हुए शासन ने इस मद में बजट पर फिलहाल रोक लगाई हुई है। केवल पुरानी जेलों के पुनर्निर्माण कार्यों के लिए ही बजट स्वीत किया गया है। इसके साथ ही अभी नई जेलों के लिए जगह भी चिह्नित नहीं हो पाई है।
प्रदेश में इस समय नौ जिला जेल और दो उप जेल हैं। इन जेलों में तकरीबन तीन हजार कैदियों को रखने की क्षमता है। मौजूदा स्थिति यह है कि इन जेलों में 5300 से अधिक कैदी रखे गए हैं। सबसे अधिक कैदी देहरादून, ऊधमसिंह नगर, सितारगंज और पौड़ी की जेल में हैं। खतरनाक श्रेणी के कैदी भी इन जेलों में हैं।
जेलों में निर्धारित से अधिक संख्या में कैदियों के होने के कारण इनके बीच टकराव की आशंका बनी रहती है। पूर्व में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब जेलों में कैदियों के बीच हुआ टकराव सड़क तक पहुंचा है। इसे देखते हुए बीते वर्ष शासन जेलों की संख्या 11 से बढ़ाकर 15 करने का प्रस्ताव शासन को भेजा था। इसमें हर जिले में एक जेल बनाने व कुछ मैदानी जिलों में जेलों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव शामिल था।
बीते वर्ष दिसंबर में जेल प्रशासन की ओर से भेजे गए प्रस्ताव में यह भी कहा गया था कि जेलों में कोरोना संक्रमण इसलिए अधिक फैला क्योंकि बैरेक में कैदियों को सुरक्षित दूरी पर रखने की व्यवस्था नहीं थी। यही कारण भी रहा कि इस दौरान जेलों के बाहर आइसोलेशन सेंटर भी बनाने पड़े। शासन ने शुरुआत में इस प्रस्ताव को अपनी सहमति प्रदान कर दी थी।
जेल प्रशासन को इसके लिए जगह चिह्नित करने को कहा गया। यह काम गति पकड़ता इस बीच अप्रैल में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर आ गई। सरकार ने संक्रमण पर काबू पाने के लिए कोविड कर्फ्यू लगाया। इसका असर सरकार की आर्थिकी पर पड़ा। नतीजतन सरकार ने अहम कार्यों को छोड़ शेष कार्यों के लिए बजट जारी करने में हाथ खींचने शुरू कर दिए। इसका असर जेलों पर भी देखने को मिला है। माना जा रहा है कि अब व्यवस्था के पटरी पर आने के बाद ही इस पर काम शुरू हो पाएगा।