उत्तराखंड सरकार को मिली केंद्र सरकार की नसीहत का मैड ने किया स्वागत

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देहरादून। 10,000 पेड़ एवं थानो के जंगल की पूरी जैव विविधता का सर्वनाश करने को आतुर, उत्तराखंड सरकार को मिली केंद्र सरकार की नसीहत का मैड ने स्वागत किया है। गौरतलब है कि भारत सरकार के पर्यावरण एंव वन मंत्रालय के वन संरक्षण खंड द्वारा उत्तराखंड सरकार को एक चिट्ठी प्रेषित कर यह नसीहत दी गई है कि हवाई अड्डे के विस्तार के लिए, थानों के घने जंगल को काटने के बजाय अन्य विकल्प को देखा जाए।मैड की ओर से एक बयान जारी कर यह कहा गया कि केंद्र सरकार की यह नसीहत उत्तराखंड राज्य का खुद का वन विभाग भी दे सकता था। लेकिन, मैड की वन विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष, जयराज से जब इसी मुद्दे पर भेंट हुई थी, तो उनकी ओर से तो यह कहा गया था के विकास के लिए पर्यावरण की कुर्बानी होती ही है। मैड ने यह भी कहा की केंद्र सरकार की यह नसीहत आदरणीय मुख्यमंत्री के कथन को भी गलत साबित करता है, जहां मुख्यमंत्री जी ने यह कहा था कि हवाई अड्डे का विस्तार राष्ट्रीय महत्व के लिए अनिवार्य है। मैड ने कहा कि राष्ट्रीय की ही सरकार ने यहां पाया है कि 87 हेक्टेयर में से 47 हेक्टेयर तक का जो क्षेत्र है जो उत्तराखंड सरकार बंजर करने के लिए तत्पर है, उसमें घना जंगल है। राज्य और केंद्र के बीच इस विरोधाभास को उजागर करते हुए, मैड नें कहा की राज्य सरकार को आत्ममंथन करना चाहिए की इस तरीके से उनके द्वारा पर्यावरण का मूल्यांकन गलत तरीके से किया जा रहा है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार की यह नसीहत उस रिपोर्ट को भी झूठा साबित करती है, जिसके आधार पर इस हवाई अड्डे के विस्तार की योजना तैयार की गई थी, जिसमें यह कहा गया था कि ना तो वहां कोई ऐसा वन्य जीवन है जिसको भारत वन्य जीवन अधिनियम के तहत संरक्षण हासिल है और ना ही वहां कोई घना जंगल है। केंद्र सरकार ने स्पष्ट कहा है कि वहां हाथियों का भी आना जाना होता है, इसीलिए राज्य के सभी तंत्र के संरक्षण के प्रति विफल होने का लक्षण इस पूरे प्रकरण से देखने को मिलता है। गौरतलब है कि मैड पर्यावरण संरक्षण पर लगा छात्रों का वहा संगठन हैं, जिसने थानों में हुए चिपको आंदोलन को आयोजित करने में अन्य संगठनों के साथ काम किया। संस्था की ओर से उत्तराखंड वन विभाग, उत्तराखंड जैव विविधता प्राधिकरण के साथ-साथ, भारत सरकार से भी वार्ता कर यही प्रयास किया गया कि इस भीषण वन संहार को रोका जाए।

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