वेदों में विश्व शक्ति बनाने की क्षमतारू महेंद्र भट्ट
नई टिहरी। वेदों के प्रसार व पारायण के लिए नई टिहरी में पहली बार आयोजित हो रहे क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने शिकरत की। समापन सत्र में बोलते हुए उन्होंने कहा कि वेदों को साथ लेकर विश्व शक्ति बना जा सकता है। वेदों में ही वह शक्ति है, दुनिया को एकता व विश्वबंधुत्व के भाव में बांध सकती है। इस मौके पर भट्ट ने वेदपाठियों को सम्मानित करने का भी काम किया।
समापन सत्र की भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, पूर्व काबीना मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण, सम्मेलन की अध्यक्ष सुषमा उनियाल, संयोजक राजेंद्र प्रसाद चमोली ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन शुरूआत की। आयोजकों की ओर सम्मेलन के मुख्य अतिथि भट्ट और विशिष्ठ अतिथि शूरवीर सिंह सजवाण को अंगवस्त्र व माला पहनाने के साथ स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया गया। महेंद्र भट्ट ने आगे कहा कि उनकी सरकार संस्त व वैदिक शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए निरंतर काम कर रही है। जिसे पूरी तत्परता से आगे बढ़ाया जायेगा। बतौर मुख्य वक्ता बोलते हुए आरएसएस के दिनेश सेमवाल ने कहा कि दुनिया में भूत, वर्तमान व भविष्य में जो भी होगा वह वेदों के तहत ही होगा। वेदों से बाहर होने वाला कुछ नहीं है। पूरे विश्व में भारत के वर्चस्व के लिए जरूरी है कि वेदों की ओर लौंटे। वेद ही जीवन का आधार है। विशिष्ठ अतिथि पूर्व काबीना मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण ने कहा कि टिहरी में वैदिक सम्मेलन होना हर्ष का विषय है। हिमालय ही वेदों की उत्पत्ति का स्थान रहा है। वेदों के संरक्षण के लिए यहीं से ठोस प्रयास होने चाहिए। समापन सत्र पर देश के विभिन्न कोनों से पहुंचे वेदपाठियों ने वेदाचाओं का उवाच किया। जिनका मौजूद लोगों ने श्रवण किया। समापन मौके पर प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने वेदपाठियों को सम्मानित भी किया। सम्मेलन के संयोजक राजेंद्र प्रसाद चमोली ने वैदिक सम्मेलन में सहयोग के लिए स्थानीय लोगों सहित अतिथियों का आभार जताया। इस मौके पर डा ओम प्रकाश भट्ट, टीएचडीसी के ईडी एलपी जोशी, संजय दबे, भाजपा जिलाध्यक्ष राजेश नौटियाल, प्रदेश प्रवक्ता भाजपा विनोद सुयाल, मेहनबान सिंह, सुशील कोटनाला, रवि सेमवाल, खेम सिंह चौहान, कुलदीप पंवार, सतीश थपलियाल, रवि सेमवाल, अनुसूया नौटियाल, दाता राम भट्ट, सभासद विजय कठैत, डा प्रमोद उनियाल, स्वामी अच्युतानंद, महाराज केशव स्वरूप, शीशराम थपलियाल, वंशीधर पोखरियाल आदि मौजूद रहे।