एक सप्ताह में चिंवाड़ी डांडा पंपिंग योजना से नियमित पेयजल की आपूर्ति न होने पर करेगें आंदोलन
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : विकासखंड कल्जीखाल पट्टी मनियारस्यूं स्थित नयार नदी पर बनी 70 गांवों के लिए चिंवाड़ी डांडा पंपिंग योजना से नियमित स्वच्छ पेयजल आपूर्ति न होने को लेकर गुरूवार को न्याय पंचायत पांचाली बनेख में पूर्व प्रमुख सुरेंद्र सिंह नेगी की अध्यक्षता में एक आपात बैठक आयोजित की गई। बैठक में ग्रामीणों ने जल संस्थान के सहायक अभियंता को एक सप्ताह का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि एक सप्ताह में चिंवाड़ी डांडा पंपिंग योजना से नियमित पेयजल की आपूर्ति न होगी तो वह जन आंदोलन करने को मजबूर होगें।
बैठक में ग्रामीणों ने प्रमुख प्रशासक श्रीमती बीना राणा और सहायक अभियंता को अवगत कराया कि करोड़ों की लागत से बनीं पंपिंग योजना का जनता को लाभ नहीं मिल रहा है। कहा कि जनता का सब्र का बांद टूट चुका है। यदि एक सप्ताह क्षेत्र में जनता को नियमित जलापूर्ति नहीं होगी तो जनता आंदोलन के लिए मजबूर होगी। प्रमुख प्रशासक श्रीमती बीना राणा ने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया की एक सप्ताह में उक्त पंपिंग योजना से स्वच्छ नियमित जलापूर्ति नहीं होती तो वह जनता के साथ जन आंदोलन में सबसे आगे रहेगी। बैठक की अध्यक्षता कर रहे पूर्व प्रमुख सुरेंद्र सिंह नेगी ने ज्ञापन सहायक अभियंता को सौंपा। ज्ञापन में कहा कि योजना से नियमित जलापूर्ति नहीं हो रही। नयार नदी पर गाद आने से गंदा पानी बोरिंग में चला जाता है, जिससे पानी दूषित होता है और स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। उन्होंने पानी की जांच करने, बोरिंग वाले स्थान पर गाद रोकन का स्थाई उपाय करने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि यदि पंप चलता भी है तो विभागीय वितरण प्रणाली सही नहीं है। कहा कि प्रत्येक गांव के प्रत्येक परिवार को पानी उपलब्ध करवाए जाए। कहा यदि एक सप्ताह में सकारात्मक परिणाम नहीं मिला तो क्षेत्र की जनता को विभाग के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने मजबूर होना पड़ेगा, जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी संबधित विभाग की होगी। बैठक में ब्लॉक प्रमुख प्रशासक श्रीमती बीना राणा, प्रमुख प्रशासक संगठन उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र सिंह राणा, ग्राम पंचायत प्रशासक श्रीमती संतोषी रावत, ग्राम पंचायत प्रशासक ओलना श्रीमोहन, ग्राम पंचायत प्रशासक थापला राजेश कुमार, पूर्व प्रधान संगठन ब्लॉक अध्यक्ष रमेशचंद्र शाह सहित ग्राम गढ़कोट, बुटली, नैथाणा, घंडियाल, ओलना, धारी, मैड़ा सुरमाडी, कलेथ, पुंडोरी, सैनार, दिउसी, साकनी बड़ी, डांगी सहित अन्य गांवों के ग्रामीण मौजूद थे।