ठंडी पड़ी योजना, पानी को ढ़ाई किमी. दौड़ लगा रहे ग्रामीण

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प्रखंड कल्जीखाल के अंतर्गत ग्राम सभा कांडा का तोक गांव मरगांव में बनी है समस्या
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : गर्मी बढ़ने के साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में पेयजल संकट गहराने लगा है। हालत यह है कि प्रखंड कल्जीखाल के अंतर्गत ग्राम सभा कांडा का तोक गांव मरगांव के ग्रामीणों को वर्षों पूर्वी बनी कांडा सकिनखेत रिंगवाड़ा पेयजल योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। यहां तक कि विभाग की लापरवाही के चलते ग्रामीणों को हर घर जल हर घर नल योजना का भी लाभ नहीं मिल पा रहा है।
ग्रामीणों को पानी के लिए ढाई किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ रहा है। वर्तमान में गांव में चालीस परिवार निवास कर रहे है। मतदाताओं से देखें तो लगभग 12 सौ वोटर है। जिनमें से कई वोटर बहुत ही वृद्ध भी हो चुके हैं। सबसे ज्यादा परेशान वृद्ध लोगों को ही होती है। गांव के निकट प्राकृतिक स्रोत भी सूखने के कगार पर पहुंच गया है। पेयजल के अलावा ग्रामीणों को अपने मवेशियों के लिए पानी उपलब्ध करवाने में कठिनाई हो रही है। जिसके चलते गांव से कई परिवार पलायन के लिए मजबूर हो चुके हैं। इस संबध में जब ग्रामीणों से वार्ता की गई की तो ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि यदि पेयजल व अन्य मूलभूत समस्याएं इसी तरह से बनी रही तो वह दिन दूर नहीं जब पूरा गांव पलायन के लिए मजबूर हो जाएगा। लगभग 83 के दशक में ग्रामीणों को पेयजल उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से सकिनखेत कांडा रिंगवाड पेयजल योजना का निर्माण करवाया गया था। योजना पर कुछ साल तक को पेयजल आपूर्ति सुचारू रही। लेकिन उचित देखरेख के अभाव में योजना पर लगातार पेयजल बाधित रहा। जिससे ग्रामीणों को पेयजल योजना का कोई लाभ नहीं मिल सका। जबकि विभाग योजना के नाम पर प्रतिवर्ष लाखों रूपए पानी की तरह बहा रहा है। ग्रामीण धमेंद्र सिंह भंडारी ने बताया कि इस संबध में विभागीय अधिकारियों को लिखित व मौखिक रूप से अवगत करवाया गया। लेकिन विभाग आंखे मूंदे बैठा है। ग्रामीण मोहन सिंह, अरूणा देवी, महेश्वरी देवी, आशा देवी, सुमन देवी का कहना है कि जहां एक ओर ग्रामीण पेयजल से त्रस्त है, वहीं स्वास्थ्य व शिक्षा का भी बुरा हाल है। गांव का प्राथमिक विद्यालय विगत एक साल से मात्र एक शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहा है। गांव के लिए बनी ब्रांच रोड़ भी क्षतिग्रस्त हो गई है। कई बार सांसद व विधायक के समक्ष समस्याएं उठाई गई। लेकिन आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला। ग्राम सभा में मनरेगा के तहत किए गए कार्यों का भुगतान भी लंबे से समय से नहीं हो पाया है। ग्रामीणों को मजबूरी में पानी नहीं तो वोट नहीं का निर्णय लेना पड़ा। ग्रामीण मोहन सिंह भंडारी का कहना है कि वर्तमान में गढ़वाल लोकसभा संसदीय क्षेत्र के चुनाव हो रहे है। सभी पार्टियों के नेता राष्ट्रीय स्तर की बात तो अवश्य कर रह रहे हैं। लेकिन ग्रामीणों की मूलभूत समस्याओं पर बात करने को तैयार नहीं हैं। लगातार बढ़ती मूलभूत समस्याओं को देखकर गांव से कई परिवार पलायन कर चुके हैं व कई परिवार पलायन करने को तैयार बैठे हैं।

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