हिंदी के प्रति हमें अपनी मानसिकता को बदलना होगा : थलेड़ी
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : हिंदी भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। देश के कई राज्यों में लोग इसका प्रयोग करते हैं। आम बोलचाल के लिए भी हिंदी सबसे ज्यादा प्रयोग की जाती है। ऐसे में हिंदी के महत्व को लोगों तक पहुंचाने और इसे बढ़ावा देने के उद्देश्य से हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। इस दिन 1949 में भारत की संविधान सभा ने हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया था और इसी दिन हमारे पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस दिन को हिंदी दिवस के नाम से मनाने का एलान किया था। हिंदी दिवस मनाने के पीछे का उद्देश्य हिंदी भाषा के प्रयोग को प्रोत्साहन देना है। हिंदी, भाषा के रूप में कितनी समृद्घ है लोगों में इस बात की जागरूकता फैलाना भी इसका उद्देश्य है।
श्री गुरू राम राय पब्लिक स्कूल लालपानी की शिक्षिका श्रीमती मीना थलेड़ी का कहना है कि अपनी भाषा में बोलचाल और कामकाज करना ही राष्ट्रीयता है। हिंदी के प्रति हमें अपनी मानसिकता को बदलना होगा। बातचीत करने के अलावा कामकाज में इस भाषा को अपनाना होगा तभी इसका प्रचार और प्रसार होगा। भाषा केवल संपर्क का माध्यम नहीं होती। हमें इसकी संस्कृति को भी अपनाना पड़ता है। व्यापाक प्रचार-प्रसार के लिए हिंदी को सही मायने में कार्यान्वित करना होगा। अपनी मासनिकता को बदलना होगा। उन्होंने कहा कि एक भाषा के रूप में हिन्दी न सिर्फ भारत की पहचान है, बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक है। बहुत सरल, सहज और सुगम होने के साथ हिन्दी विश्व की सम्भवत: सबसे वैज्ञानिक भाषा है, जिसे देश भर में समझने, बोलने और चाहने वाले लोग बड़ी संख्या में मौजूद है। राष्ट्र भाषा के रूप में हिन्दी का भविष्य उज्जवल नहीं दिखाई देता है, हमें इसको बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। व्यवसायिक स्पर्धा के युग में कंपनियों और प्रतिष्ठानों को अपने उत्पादों के प्रचार-प्रसार के लिए हिन्दी भाषा को अपनाना चाहिए। श्रीमती थलेड़ी ने कहा कि हिन्दी जनसंपर्क की भाषा है, सामान्य काम-काज हो या राष्ट्रव्यापी व्यवहार हो सभी जगह हमें हिन्दी भाषा का प्रयोग करना चाहिए। जिससे हमारी संस्कृति भी विकसित होगी।