नई दिल्ली। हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली के विधानसभा चुनावों में मिली सफलता के फार्मूले को भाजपा आगामी विधानसभा चुनावों में भी आजमाने की तैयारी में जुट गई है। लोकसभा चुनाव में अपेक्षित सफलता नहीं मिलने के बाद सबसे कठिन माने जाने वाले इन तीनों राज्यों में भाजपा ने राष्ट्रीय मुद्दों के बजाय अति स्थानीय मुद्दों को चुनाव प्रचार में तरजीह दी और अप्रत्याशित जीत हासिल की।इस साल के अंत में बिहार के बाद अगले साल के शुरू में पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इनमें बिहार और पुडुचेरी में राजग और असम में भाजपा सत्ता में है।
स्थानीय मुद्दों की पहचान कर सूची बनाने के के निर्देश
भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार आगामी विधानसभा चुनाव वाले सभी राज्यों के पार्टी पदाधिकारियों को राज्य स्तर के साथ-साथ अति स्थानीय मुद्दों की पहचान कर उनकी सूची बनाने का निर्देश दिया गया है ताकि चुनाव की घोषणा के पहले ही इन मुद्दों पर स्थानीय लोगों को गोलबंद करने का काम शुरू हो सके।
स्थानीय मुद्दों की पहचान के लिए विशेष रूप से नवगठित बूथ कमेटियों को जिम्मेदारी दी गई है और राज्य इकाई को इन बूथ कमेटियों के साथ मिलकर कार्यक्रम तैयार करने को कहा गया है।स्थानीय मुद्दों की पहचान और जनता के बीच उन्हें ले जाने का तरीका राजग व भाजपा शासित राज्यों व विपक्ष शासित राज्यों में अलग-अलग होगा।
पेश किया जाएगा रोडमैप
बिहार, पुडुचेरी और असम जैसे राजग व भाजपा शासित राज्यों में राज्य सरकार की उपलब्धियां गिनाने के साथ-साथ बाकी बची समस्याओं के दूर करने के रोडमैप पेश किया जाएगा। वहीं विपक्ष शासित राज्यों में राज्य सरकार की विफलता गिनाते हुए समस्याओं को दूर करने का भरोसा दिया जाएगा।
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