सीएम ‘मान’ क्यों नहीं ले रहे सीआरपीएफ वाई प्‍लस सुरक्षा?

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नई दिल्‍ली । देश का सबसे बड़ा केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’, 206 अति विशिष्ट लोगों को सिक्योरिटी मुहैया करा रहा है, लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, सीआरपीएफ सुरक्षा लेने से इनकार कर रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय और आईबी ने भगवंत मान का सुरक्षा ऑडिट करने के बाद सीआरपीएफ को मुख्यमंत्री मान की सुरक्षा की जिम्मेदारी देने का निर्णय लिया था। अब सीआरपीएफ के पास एक वर्ष से अधिक समय से मान को सुरक्षा मुहैया कराने का ऑर्डर पेंडिंग पड़ा है। सीआरपीएफ द्वारा मान को ‘वाई प्लस’ सिक्योरिटी दी जानी थी, लेकिन अभी तक मुख्यमंत्री भगवंत मान की तरफ से सहमति नहीं दी गई।
सूत्रों के मुताबिक, वर्तमान में सीआरपीएफ द्वारा 206 अति विशिष्ट लोगों को विभिन्न श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है। इनमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, दिवंगत डॉ. मनमोहन सिंह की पत्नी गुरशरण कौर, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा सांसद राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, उद्योगपति मुकेश अंबानी व गौतम अदाणी, असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा, स्वामी रामदेव, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और सांसद असदुद्दीन ओवैसी सहित 200 से ज्यादा वीवीआईपी को सीआरपीएफ द्वारा सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है।
सीआरपीएफ की विभिन्न सुरक्षा श्रेणियों में जेड प्लस सुरक्षा के अलावा एक्स, वाई, वाई प्लस और जेड श्रेणी के तहत भी अति विशिष्ट एवं विशिष्ट लोगों को बल की सुरक्षा प्रदान की गई है। देश में किसी एक बल द्वारा वीआईपी व्यक्तियों को सुरक्षा देने की यह सर्वाधिक संख्या है। सीआरपीएफ ने 2023 में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान को वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा प्रदान करने का ऑफर दिया था, लेकिन अभी तक मान ने यह सुरक्षा नहीं ली है। उनके पास पंजाब पुलिस की सुरक्षा है।
पंजाब सरकार द्वारा इस बाबत केंद्रीय गृह मंत्रालय को अवगत करा दिया गया था कि मुख्यमंत्री भगवंत मान को पंजाब और दिल्ली में सीआरपीएफ ‘वाई-प्लस’ सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है। गृह मंत्रालय और केंद्रीय खुफिया एजेंसी ने सीमावर्ती राज्य पंजाब में खालिस्तानी गतिविधियों के मद्देनजर मुख्यमंत्री के ‘खतरे की धारणा संबंधी विश्लेषण’ रिपोर्ट तैयार की थी। इसके बाद ही भगवंत मान को सीआरपीएफ सुरक्षा कवर देने की सिफारिश की गई थी। सूत्रों ने बताया कि सीआरपीएफ सुरक्षा न लेने के पीछे कोई तकनीकी वजह तो नहीं बताई गई, लेकिन इस तरह के मामलों मे ‘निजता’ भंग होने के डर से केंद्रीय बलों की सुरक्षा नहीं ली जाती।
पिछले दिनों ‘सीआरपीएफ’ की वीवीआईपी सुरक्षा विंग का दायरा बढ़ाया गया है। वजह, एसपीजी के बाद देश में अति विशिष्ट लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने की बड़ी जिम्मेदारी ‘सीआरपीएफ’ ही निभा रही है। पहले सीआरपीएफ की वीवीआईपी सिक्योरिटी विंग में छह बटालियन थी, अब इनकी संख्या सात हो गई है। झारखंड से एक बटालियन को वीवीआईपी सिक्योरिटी विंग में शामिल किया गया है। इस तरह से अब सिक्योरिटी विंग में लगभग सात हजार जवान हो गए हैं। ‘नेशनल सिक्योरिटी गार्ड’ के ब्लैक कैट कमांडो की सुरक्षा भी सीआरपीएफ को सौंपी गई है। एनएसजी कमांडो के जितने भी सेंटर/कैंप हैं, उन सभी की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ को सौंपने की बात कही गई थी।

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