1962 के भुला दिए गए युद्घ को अचानक क्यों याद कर रहा चीन? बता रहा भारत की गलती
नई दिल्ली, एजेंसी। भारत और चीन के बीच सीमा विवाद दशकों पुराना है। लेकिन 1959 के तिब्बती विद्रोह के बाद जब भारत ने दलाई लामा को शरण दी तो चीन ने भारत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इसके चलते 20 अक्टूबर 1962 को दोनों देशों के बीच पूर्ण युद्घ शुरू हो गया। चीन की सेना ने 20 अक्टूबर 1962 को लद्दाख में और मैकमोहन रेखा के पार एक साथ हमले शुरू किए। दुर्गम और बर्फ से ढकी पहाड़ियों का इलाका होने के कारण भारत ने वहां जरूरत भर के सैनिक तैनात किए थे, जबकि चीन पूरे लाव-लश्कर के साथ जंग के मैदान में उतरा था, लिहाजा यह युद्घ भारतीय सेना के लिए एक टीस बनकर रह गया।
चीन में इस युद्घ को भुला दिया गया था लेकिन अब इसे एक नए सिरे से याद किया जा रहा है। भारत-चीन युद्घ की 60वीं वर्षगांठ पर चीन की सेना और मीडिया एक ऐसे युद्घ पर नए सिरे से ध्यान दे रहे हैं जिसे पहले आधिकारिक चीनी सैन्य इतिहास में काफी हद तक दरकिनार कर दिया गया था। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने अपनी 95वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक प्रदर्शनी में युद्घ का प्रदर्शन किया है, साथ ही ष्चीन-भारत बर्डर सेल्फ डिदेंस काउंटरबैक पर सौ प्रश्नष् शीर्षक से युद्घ का एक नया सैन्य इतिहास जारी किया है। चीन आधिकारिक तौर पर उस युद्घ को अपने कार्यों को सही ठहराने के लिए ष्जवाबी हमलाष् बताता है।
बीजिंग के सैन्य संग्रहालय में पीएलए प्रदर्शनी, युद्घ के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराती है। चीनी प्रदर्शनी में लिखा है, चीन और भारत ने अपने अतीत में कभी भी औपचारिक रूप से अपनी सीमाओं का सीमांकन नहीं किया है। दोनों पक्षों के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र के अनुसार केवल एक पारंपरिक प्रथागत रेखा बनाई गई है। अगस्त 1959 के बाद, भारतीय सेना ने कई बार चीनी क्षेत्र पर आक्रमण किया, जिससे सशस्त्र सीमा संघर्ष हुआ।ष्
इसमें आगे लिखा है, अक्टूबर 1962 में, भारतीय सेना ने बड़े पैमाने पर हमला किया और चीनी सीमा रक्षा बलों को आत्मरक्षा में वापस हमला करना पड़ा। यह 33 दिनों तक चला और सेना ने अगस्त 1959 के बाद भारतीय सेना के कब्जे वाले चीनी क्षेत्र को पुन: प्राप्त कर लिया।ष् प्रदर्शनी में जून 2020 गलवान घाटी संघर्ष पर भी प्रकाश डाला गया है। चीनी सेना 1962 युद्घ पर नए सिरे से फोकस कर रही है। यह संबंधों में गिरावट और बढ़ते सीमा विवाद को दर्शाता है। युद्घ को कभी-कभी चीनी पर्यवेक्षकों द्वारा ष्भूले हुएष् युद्घ के रूप बताया जाता रहा है। चीनी लोगों का मानना है कि 1962 युद्घ को जापानी कब्जे या कोरियाई युद्घ जितना अटेंशन नहीं मिला। ये युद्घ चीनी टेलीविजन नाटकों और फिल्मों का एक प्रमुख केंद्र रहे हैं।