किसानों को संगध पादप की व्यवासायिक खेती से जोड़ेगें
जयन्त प्रतिनिधि।
श्रीनगर : हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि के वानिकी एवं प्राकृतिक संसाधन विभाग के तत्वावधान में सुनहरीगाड़ घनसाली में जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार की हिमालयन बायोरिसोर्स परियोजना के अन्र्तगत कृषक समूहों के माध्यम से रोजमेरी एवं ऑरेगेनो का व्यावसायिक स्तर पर उत्पादन, मूल्य संवर्धन एवं विपणन से स्वरोजगार विकसित करने हेतु कृषक प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई।
इस मौके पर हिमालयन बायो रिसोर्स परियोजना के मुख्य सलाहकार डा. मो. असलम की उपस्थिति में गढ़वाल विश्वविद्यालय एवं भिलंगना वैली फामर्स प्रोड्यूसर कंपनी लि. टिहरी के मध्य समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। डा. असलम ने बताया कि यह भारत सरकार की एक अति महत्वाकांक्षी परियोजना है। जिसमें संगध पौधों के व्यवसायिक उत्पादन द्वारा देश में सुगन्धित तेलों पर विदेशों से आयात की निर्भरता को समाप्त कर इस दिशा में आत्मनिर्भर बनाना है। 100 करोड़ से अधिक की लागत की इस परियोजना का यह पहला चरण है जिसमें देश के हजारों किसानों को संगध पादप की व्यवासायिक स्तर की खेती से जोड़ा जाएगा। जिससे बड़े स्तर पर स्वरोजगार पैदा होंगे। रोजमेरी एवं ऑरगेनो के उत्पाद निर्माण इकाई का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि किसानों को कच्चा माल बेचने के बजाय मूल्य वर्धित उत्पाद बनाने की और अग्रसर होना चाहिए। जिसके लिए गढ़वाल विवि की कार्ययोजना बहुत जल्द धरातल पर दिखने लगेगी। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. अजीत कुमार नेगी, हर्बल विशेषज्ञ डा. जेएस बुटोला ने हर्बल उत्पाद निर्माण तैयार करने का तकनीकी प्रशिक्षण दिया। कहा गढ़वाल विवि कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल के निर्देशन में स्थानीय प्राकृतिक संसाधनो पर आधारित ग्रामोद्योग को बढ़ावा देकर स्वरोजगार विकसित करने हेतू विभिन्न परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। मौके परइमामी लि. कोलकत्ता के बायो रिसोर्स विभाग के विभागाध्यक्ष डा. रमेश उनियाल, झंडु फाउन्डेशन के डा. विनोद कुमार बिष्ट, प्रो. आरएस नेगी, भगवती नौटियाल, जेएस पयाल, सतीश बडोनी, प्रिया बंसल आदि मौजूद रहे।