पानी बिन सूखे 15 गांवों के ग्रामीणों के कंठ, डेढ़ महीने से प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर

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यमकेश्वर क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम डांगी, परंदा, पठोला, कोबरा, बंचूरी सहित अन्य गांव में बनी है समस्या
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : भले ही प्रदेश सरकार पर्वतीय क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के दावे कर रही हो। लेकिन, हकीकत यह है कि पहाड़ों में ग्रामीण पानी को भी तरस रहे हैं। हालत यह है कि पिछले डेढ़ माह से यमकेश्वर ब्लॉक के 15 गांव के ग्रामीण पानी को दर-दर भटक रहे हैं। स्कूलों में भी मिड-डे मील बनाना चुनौती बन गई है।
डांगी, परंदा पठोला, कोबरा, बंचूरी, रिखेण, रावत गांव, चोपड़ा सहित अन्य गांव को पेयजल योजना से जोड़ने के लिए 1996 में योजना बनाई गई थी। इसके लिए गांव के समीप बहने वाली हेंवल नदी से गांव तक पेयजल लाइन बिछाई गई। लेकिन, पिछले डेढ़ माह से हाईड्रम मशीन ठीक से कार्य नहीं कर रही। ऐसे में गांव तक पर्याप्त पानी नहीं पहुंच पा रहा है। ग्रामीण पानी के लिए पूरी तरह प्राकृतिक स्रोतों के भरोसे चल रहे हैं। जंगल में प्राकृतिक स्रोतों के चक्कर काटने के दौरान जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है। पूर्व जिला पंचायत सदस्य विजय लखेड़ा ने बताया कि हाईड्रम मशीन मरम्मत के लिए कई बार विभागीय अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं।

शिकायत के बाद भी नहीं हुआ समाधान
ग्रामीण कई बार अधिकारियों के दफ्तर के चक्कर काट चुके हैं और शिकायत कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई भी यहां झांकने तक नहीं पहुंचा। लोगों को इससे काफी परेशानी हो रही है। प्राकृतिक स्रोतों के चलते किसी तरह लोगों को पीने का पानी मिल रहा है।

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