गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो रही महिलाएं : सीएमओ
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों से गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित प्रसव और जच्चा बच्चा की सुरक्षा को लेकर की जा रही कसरत अब रंग लाने लगी है, अब महिलाएं घर पर प्रसव के स्थान पर संस्थागत प्रसव को अधिक तवज्जों देने लगी है। सीएमओ ने कहा कि अच्छी बात यह है कि, गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य के प्रति महिलाएं अब जागरुक हो रही है। विभाग द्वारा मातृत्व सुरक्षा से सम्बन्धित कार्यक्रमों के सही तरह से क्रियान्वयन एवं सहायता से हम काफी हद तक संस्थागत प्रसवों को बढ़ाने मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने में काफी हद तक सफल हुए हैं। जिसके लिए जनपद की समस्त आशा कार्यकत्री, एएनएम के विशेष योगदान के साथ ही वर्तमान समय में बढ़ती स्वास्थ्य सुविधाओं और प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ का भी महत्वपूर्ण योगदान है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रवीण कुमार ने बताया वित्तीय वर्ष 2019 से वर्तमान तक जनपद के विभिन्न चिकित्सालयों में 41836 संस्थागत प्रसव हुये है, वहीं 4849 प्रसूताओं का घर पर प्रसव किया गया। वित्तीय वर्ष 2020 और 2021 में कोविड के कारण घर पर प्रसवों की संख्या में इजाफा रहा, परन्तु कोविड की समाप्ति के पश्चात वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह आंकडा पुन: घटकर 524 पर आ गया है। इसके साथ ही गभर्वती महिलाओं को स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित किया जाता है। वहीं एचआईएमएस पोर्टल के मानको के अनुसार प्रति 1000 शिशुओं पर 24 शिशु मृत्यु मानक रखा गया है, वहीं मातृ मृत्यु पर यह आंकडा प्रति लाख पर 99 है जिसमें जनपद पौड़ी में विगत 4 वर्ष का आंकलन किया जाय तो जनपद में मातृ मृत्यु 30 और 327 शिशु मृत्यु हुयी हैं, जिनमें लगातार कमी देखने को मिल रही है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि पौड़ी जनपद में बेस चिकित्सालय श्रीकोट एवं उप जिला चिकित्सालय श्रीनगर में टिहरी, चमोली, रुद्रप्रयाग आदि जिलों से भी महिलाएं प्रसव के लिए आती है, जिससे दबाब अधिक रहता है। विभाग का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को गुणवत्ता पूर्वक प्रसव पूर्व जांच की नि:शुल्क सुविधा उपलब्ध कराने एवं बेहतर परामर्श के साथ ही सुरक्षित प्रसव की सुविधा प्रदान करना है। कार्यक्रम के सुचारु रुप से संचालन के लिए सभी आशा, एएनएम को समय-समय पर प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित प्रसव के लिए चिकित्सा इकाई तक लाने हेतु नि:शुल्क वाहन सुविधा हेतु 108 सेवा एवं जच्चा बच्चा को घर ले जाने हेतु 102 खुशियों की सवारी की सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाती है। गर्भावस्था के दौरान बीपी, शूगर, ज्यादा या कम वजन, खून की कमी से प्रसव सम्बन्धी जटिलताओं बढ़ जाती हैं, यदि गर्भवती महिलायें अपना एएनसी रजिस्ट्रेशन के उपरान्त नियमित अन्तराल में चैकअप करवाती रहें तो प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है। जिसमें खून की कमी वाली गर्भवती महिलाओं को आयरन की गोली के साथ पोषक पदार्थों के सेवन के भी सलाह दी जाती है, ऐसी महिलाओं की निगरानी प्रसव होने तक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा की जाती है। साथ ही हाई रिस्क प्रेगनेंसी वाली महिलाओं को विभाग की ओर अतिरिक्त विशेष सुविधाएं प्रदान की जाती है।