पहाड़ों पर तहसीलों में कामकाज रहा ठप

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देहरादून। राज्य में नौ जिलों में पूरी तरह तहसीलों में कामकाज ठप रहा। नैनीताल और देहरादून की पर्वतीय तहसीलों में भी पर्वतीय राजस्व निरीक्षक, राजस्व उपनिरीक्षक एवं राजस्व सेवक संघ के कार्य बहिष्कार का बड़ा असर पड़ा। राजस्व पुलिस का काम वापस न लेने और बिना संसाधनों के फार्मर रजिस्टर अंश निर्धारण का काम कराने पर संघ ने नाराजगी जताते हुए आंदोलन शुरू कर दिया है। राजस्व सेवक संघ ने तीन जून और चार जून को पूरी तरह कार्य बहिष्कार का ऐलान किया था। इसके तहत पहले दिन पटवारियों ने काम नहीं किया। इसके कारण तहसीलों में प्रमाण पत्र समेत अन्य कार्यों के लिए आने वालों को बैरंग लौटना पड़ा। राजस्व पुलिस से जुड़े काम पूरी तरह ठप रहे। राजस्व सेवक संघ के अध्यक्ष विजय सिंह मेहता ने संघ की ओर से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र भेज कर सभी लंबित मांगों के निस्तारण की मांग की। कहा कि बिना संसाधनों के राजस्व पुलिस का काम करना संभव नहीं है। हाईकोर्ट भी साफ कर चुका है कि राजस्व पुलिस का काम सिविल पुलिस को सौंपा जाए। कहा कि अंश निर्धारण का काम पूरी तरह ऑनलाइन किया जाना है। ये काम बिना संसाधनों के मोबाइल पर करना पड़ रहा है। मोबाइल पर काम करने में दिक्कत पेश आ रही है। इसके लिए सभी लोगों को बड़ी स्क्रीन वाले फोन, लैपटॉप, टैप जैसे उपकरण डाटा पैक के साथ उपलब्ध कराए जाएं। पदोन्नति को लेकर पटवारियों के पदोन्नति कोटे में किसी भी तरह की छेड़छाड़ न की जाए। इसके साथ ही अन्य सभी लंबित प्रकरणों का तत्काल निस्तारण किया जाए। ऐसा न होने पर चार जून के बाद आंदोलन की नई रणनीति को सार्वजनिक किया जाएगा। लगातार सरकार पर दबाव बना कर रखा जाएगा। विरोध जताने वालों में महामंत्री महिपाल पुंडीर, विनोद रावत, दिकपाल बोरा, गुलाब सिंह, श्याम सिंह तोमर, देवेंन्दर कंडारी, जगदीश परिहार, त्रिभुवन बोरा, अतुल, शिव सिंह आदि मौजूद रहे। यहां रहा कार्यबहिष्कार का असर देहरादून में चकराता, कालसी, त्यूनी, नैनीताल में धारी, कैंची, नैनीताल, बेतालघाट तहसील के क्षेत्र में कार्यबहिष्कार का असर रहा। इसके अलावा देहरादून, हरिद्वार, यूएसनगर, नैनीताल को छोड़ कर अन्य सभी जिलों में कार्य बहिष्कार का असर रहा।

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