श्रीनगर गढ़वाल : गढ़वाल विश्वविद्यालय के उच्च शिखरीय पादप कार्यिकी शोध केंद्र (हैप्रेक) में 24 मई को आड़ू-प्लम-खुमानी का महीना कार्यक्रम में गढ़वाल क्षेत्र के चमोली, रूद्रप्रयाग, पौड़ी, टिहरी व उत्तरकाशी जिले से बड़ी संख्या में काश्तकार पहुंचेंगे। यह आयोजन उद्यानिकी विभाग और धाद संस्था के संयुक्त तत्वावधान में होगा। कार्यक्रम का उद्देश्य पहाड़ी क्षेत्रों में कम पानी और कम लागत में होने वाले इन फलों के वैज्ञानिक उत्पादन, नर्सरी विकास और बाजार सृजन को लेकर किसान, विशेषज्ञ और समाज के बीच संवाद स्थापित करना है। उद्यानिकी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. तेजपाल सिंह बिष्ट ने बताया कि आड़ू, प्लम और खुमानी उत्तराखंड में अप्रैल से जुलाई के बीच पकते हैं, जब राज्य में चारधाम यात्रा और पर्यटन चरम पर होता है। ऐसे समय में इन फलों की विपणन संभावनाएं बहुत अधिक होती हैं। इसके बावजूद स्थानीय बाजारों में इन फलों की उपस्थिति न के बराबर है और इस दिशा में कोई ठोस सरकारी योजना भी सामने नहीं आई है। विशेषज्ञों के अनुसार, गुठलीदार फल अपने उत्पादन स्वभाव, कम कीटनाशकों की आवश्यकता और स्थानीय पर्यावरण के अनुकूलता के चलते पहाड़ी किसानों की आर्थिकी के लिए एक स्थायी विकल्प बन सकते हैं। वैज्ञानिक तरीके से इनका उत्पादन और विपणन एक नई ग्रामीण अर्थव्यवस्था को जन्म दे सकता है। डॉ. बिष्ट ने बताया कि कार्यक्रम में किसानों, वैज्ञानिकों, उद्यानिकी विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। कहा कि कार्यक्रम में आम नागरिक भी प्रतिभाग कर सकता है। (एजेंसी)