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दोबारा बढ़ रहा बाढ़ का खतरा, डरा रहा यमुना का जलस्तर! क्या दिल्ली फिर होगी दरिया में तब्दील?

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नई दिल्ली, एजेंसी। हिमाचल प्रदेश में हो रही मूसलधार वर्षा से दिल्ली में यमुना का जलस्तर फिर से बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। पिछले तीन दिनों से यमुना का जलस्तर खतरे के निशान (205.33 मीटर) के आसपास है। 15 जुलाई के बाद यह 206 मीटर से नीचे है, क्योंकि हथनी कुंड से पिछले कुछ दिनों से प्रति घंटे एक लाख क्यूसेक से कम पानी छोड़ा जा रहा था, लेकिन अब एक बार फिर से इसमें बढ़ोतरी होने लगी है।
13 जुलाई के बाद शनिवार सुबह नौ बजे सबसे अधिक147857 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। दोपहर तक यह बढ़कर प्रति घंटे दो लाख क्यूसेक पार कर गया है, अगले दो दिनों में इसके दिल्ली पहुंचने की संभावना है।
मौसम विभाग का 25 जुलाई तक उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में भारी वर्षा होने का पूर्वानुमान है। इससे राजधानी में एक बार फिर से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने की आशंका जताई जा रही है।
नौ जुलाई से हथनी कुंड से प्रति घंटे एक लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ा जा रहा था और 11 जुलाई को यह अधिकतम 3.59 लाख क्यूसेक तक पहुंचा था। परिणामस्वरूप राजधानी में पुराना लोहा पुल के पास यमुना का जलस्तर 13 जुलाई को 208.66 मीटर तक पहुंच गया और दिल्ली के छह जिले में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई।
यमुना पार के कई क्षेत्रों के साथ ही कश्मीरी गेट, सिविल लाइंस व मुखर्जी नगर तक पानी भर गया था। रिंग रोड और विकास मार्ग सहित कई सड़कों पर वाहनों की आवाजाही बंद हो गई थी। यमुना में पानी बढ़ने से वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला जलशोधन संयंत्र बंद होने से राजधानी के कई क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति का संकट हो गया था।
13 जुलाई से हथनी कुंड से पानी छोड़ने की मात्रा कुछ कम होने पर 15 जुलाई से दिल्ली में यमुना के उफान में भी कमी आने लगी। पिछले एक सप्ताह से प्रति घंटे 30 से 75 हजार क्यूसेक और कई बार 30 हजार से भी कम पानी छोड़ा जा रहा है। यही कारण कि 10 जुलाई के बाद पहली बार 18 जुलाई को यमुना खतरे के निशान से नीचे आई। उसके बाद से जलस्तर 206 मीटर से नीचे ही रहा है। शनिवार सुबह नौ बजे से यह खतरे के निशान से नीचे है।
अधिकारियों का कहना है कि हथनी कुंड से पानी छोड़े जाने व यमुना के जलस्तर की निगरानी की जा रही है। सितंबर तक नदी में पानी का स्तर बढ़ने का खतरा बना रहेगा। इसे ध्यान में रखकर तैयारी की गई है। 66 वरिष्ठ अधिकारियों को अलग-अलग स्थानों पर राहत व बचाव कार्य की जिम्मेदारी दी गई है। पिछले दिनों उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश में वर्षा होने के बाद भी राजधानी में यमुना का जलस्तर बहुत ज्यादा नहीं बढ़ा है।
केंद्रीय जल आयोग के पूर्वानुमान के अनुसार पहाड़ी नदियों में पानी ज्यादा नहीं बढ़ेगा। इस स्थिति में हथनी कुंड से तीन लाख क्यूसेक से कम पानी छोड़े जाने की उम्मीद है। आइटीओ बैराज का पिछले कई वर्षों से बंद पांच में से दो गेट खुल जाने से पहले की तुलना में नदी का पानी तेजी से दिल्ली से बाहर निकलेगा। तीन अन्य गेट खोलने की कोशिश जारी है।
यमुना में पानी बढ़ने की स्थिति में राहत शिविर में रहने वालों को घर लौटने का इंतजार लंबा हो सकता है। आठ और नौ जुलाई को भारी वर्षा होने और उसके बाद यमुना में उफान आने के कारण के निचले क्षेत्र में रहने वाले 27 हजार से ज्यादा लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं।
विपक्षी गठबंधन में शामिल दलों ने संकेत दिया कि बेशक पीएम के बयान की मांग नहीं छोड़ी जाएगी मगर विपक्ष सदन के गतिरोध को लंबा खींचने के पक्ष में नहीं है। टकराव खत्म करने के लिए सरकार दो कदम आगे बढ़ती है तो विपक्ष भी दो कदम पीछे खींचने से गुरेज नहीं करेगा। इस बीच सरकार और विपक्ष में संसद के बाहर भी शनिवार को वार-पलटवार का दौर जारी रहा।

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