योग एवं पंचकर्म सेंटरों का पंजीकरण अनिवार्य
देहरादून। राज्य में योग एवं पंचकर्म सेंटरों का पंजीकरण अनिवार्य होगा। आयुर्वेद निदेशालय में गठित हो रहे योग एवं नेचुरोपैथी प्रकोष्ठ के तहत यह व्यवस्था की जा रही है। प्रकोष्ठ गठन के बाद जल्द इसकी प्रक्रिया भी शुरू कर दी जाएगी। सरकार ने राज्य में योग एवं नेचुरोपैथी को बढ़ावा देने के लिए आयुर्वेद विभाग में अलग प्रकोष्ठ गठित करने का निर्णय लिया है। इसके तहत आयुर्वेद निदेशालय ने प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा। प्रस्ताव को आयुष मंत्री डॉ हरक सिंह रावत का अनुमोदन मिल गया है और जल्द ही मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद प्रकोष्ठ के विधिवत आदेश हो जाएंगे। इस प्रकोष्ठ के अस्तित्व में आने के बाद राज्यभर के योग, पंचकर्म और वेलनेस सेंटरों का रजिस्ट्रेशन होगा और इनकी नियमित निगरानी की जाएगी। राज्य में योग, पंचकर्म की अपार संभावनाएं हैं और इसे बढ़ावा देने के लिए प्रकोष्ठ प्रशिक्षित भी करेगा। आयुर्वेद विभाग के अपर सचिव और आयुर्वेद निदेशक आनंद स्वरूप ने बताया कि प्रकोष्ठ के गठन की प्रक्रिया चल रही है और शासन स्तर से अनुमति के बाद प्रकोष्ठ अस्तित्व में आ जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रकोष्ठ में अभी तक जेडी स्तर के अधिकारी की नियुक्ति की तैयारी थी। लेकिन अब अपर निदेशक व कई अन्य पद भी मांगे गए हैं। उन्होंने कहा कि इससे राज्य में योग व पंचकर्म जैसी विधाओं को बढ़ावा मिलेगा।
युवाओं को बढ़ेंगे रोजगार के अवसर
भारतीय चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष डॉ दर्शन कुमार शर्मा ने आयुर्वेद विभाग के तहत योग एवं नेचुरोपैथी का अलग प्रकोष्ठ गठित करने की पहल का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इस प्रकोष्ठ के जरिए योग व पंचकर्म को बढ़ावा मिलेगा और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। उन्होंने इस कदम के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत व आयुष मंत्री डॉ हरक सिंह रावत का आभार जताया। उन्होंने कहा कि राज्य में 15 हजार से अधिक योग प्रशिक्षित जबकि हजारों की संख्या में पंचकर्म विशेषज्ञ व सहायक हैं। इससे इन युवाओं को फायदा होगा और राज्य के वेलनेस टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा। प्रकोष्ठ के गठन के बाद योग एवं पंचकर्म के नाम पर फर्जीवाड़ा भी नहीं हो पाएगा।