कोरोना काल में निरोग और संयम के लिए योग जरूरी: नौटियाल

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जयन्त प्रतिनिधि।
श्रीनगर।
गढ़वाल विवि के प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग विभाग ने कोरोना काल में शरीर को रोगों से मुक्ति दिलाने और संयम बनाए रखने के लिए योग को महत्वपूर्ण साधन बताया है। कहा कि प्राचीन काल में ऋषि मुनि भी इस विधि का प्रयोग कर अपने शरीर को रोगों से दूर कर लंबी उम्र प्राप्त करते थे। लेकिन भौतिकवादी युग ने सब कुछ बदल दिया है।
प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग विभाग के डा. विनोद नौटियाल ने बताया कि स्वास्थ शरीर के लिए समय पर सोना, प्रात:काल जगना और धैर्य व संयम बनाए रखना सबसे जरूरी है। हर परिस्थति में समान सेवा भाव के साथ खुश रहने से मनोबल उच्च होता है। शरीर में भी सकारात्मक हार्मोंस के विकसित होने से शारीरिक और मानसिक विकास भी होता है। प्रात: सूर्य नमस्कार, षट्कर्म के तहत जलनिति, रबड़ या सूत्रनेती, वमन क्रिया का अभ्यास कोरोना काल में अधिक लाभकारी है। जबकि मानसिक विकारों को दूर करने के लिए हटयोग करें। इसके साथ ही अद्र्धहलासन, वितरितकरणी, चक्रासन, धनुरासन, भुजंगासन, शलभासन, योगमुद्रा, ताड़ासन, वृक्षासन, शवासन, योगनिद्रा और प्राणायाम के अंतर्गत अनुलोम-विलोम, सूर्यभेदन, भरामरी व कपालभाति क्रिया के अभ्यास के साथ ही ओम का उच्चारण भी अधिक लाभकारी है।

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