नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रियों के लिए इतनी कड़ी ष्आचरण संहिताष् बना दी है कि अब मंत्रियों की समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें? किससे सम्मान लें और किससे सम्मान न लें। यही नहीं बकायदा आचरण संहिता तैयार करके योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रियों के लिए ष्क्या करना है और क्या नहीं करना हैष् जैसे कड़े नियम भी बना दिए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस पहल से जनता में तो वाहवाही होने वाली है, लेकिन मंत्रियों के पसीने टूट रहे हैं। सरकार में बैठे सूत्रों का कहना है कि मंत्रियों के लिए जो दिशा निर्देश जारी हुए हैं उनका कड़ाई से पालन हो भी रहा है या नहीं, इसके लिए बाकायदा एक टीम को भी सक्रिय किया गया है। ताकि यह पता चल सके जारी किए गए आचरण संहिता का अक्षरशरू पालन हो रहा है या नहीं।
कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सभी मंत्रियों समेत जनप्रतिनिधियों, आईएएस और आईपीएस अधिकारियों समेत सभी वर्ग के अधिकारियों को अपनी संपत्तियां घोषित करने के आदेश दिए थे। इसके अलावा ऐसे सभी लोगों के परिजनों की भी संपत्तियों को घोषित करने के लिए कहा गया था। और उन सबको पब्लिक डोमेन में अनलाइन उपलब्ध कराने की व्यवस्था करने के दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इस आदेश के बाद एक बड़े तबके में खलबली मची हुई थी कि अचानक योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से अपनी सरकार के मंत्रियों के लिए आचरण संहिता लागू करने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
जानकारों के मुताबिक इस आचरण संहिता में कहा गया है कि अगर किसी मंत्री को पांच हजार रुपये से ज्यादा का उपहार मिल रहा है तो वह उसके लिए इनकार कर दे। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत सभी विधायकों और मंत्रियों के लिए ये मानक तय किए गए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री कहते हैं कि वैसे तो केंद्र सरकार की ओर से ऐसी आचरण संहिता पहले भी जारी की जा चुकी है, लेकिन वास्तव में उस पर अमल नहीं हो पाया है। वह कहते हैं कि मुख्यमंत्री की ओर से सभी मंत्रियों को उपलब्ध कराई गई आचरण संहिता के मुताबिक अगर उपहार 5000 रुपये से ज्यादा का है तो उसको राज्य की संपत्ति समझा जाएगा और से ट्रेजरी में जमा करवाना होगा।
सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है इस आचरण संहिता के मुताबिक मंत्रियों और उसके परिवार से जितने भी जुड़े हुए लोग हैं उन्हें कीमती उपहार नहीं लेने चाहिए। हालांकि भाजपा के केंद्रीय नेताओं से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि यह व्यवस्था पहले से ही केंद्र सरकार ने लागू की है, लेकिन सैद्घांतिक रूप से इस पर अमल नहीं हो पाता है। उनका कहना है कि इस बार इस आचरण संहिता का सैद्घांतिक रूप से पालन हो इसके लिए कुछ अन्य व्यवस्थाएं भी की गई है। हालांकि वह व्यवस्थाएं क्या हैं इसे लेकर उन्होंने कोई खुलासा तो नहीं किया है, लेकिन यह जरूर कहते हैं कि कोई भी इसका उल्लंघन नहीं कर पाएगा। क्योंकि हर चीज की बहुत नजदीक से निगरानी की जाएगी।
सूत्र बताते हैं मंत्रियों को जो लिखा-पढ़ी में आचरण संहिता दी गई है, उसके मुताबिक कोई मंत्री विदेश दौरे पर जाता है तो वह प्रतीकात्मक तौर पर मिले उपहार या अन्य भेंट बतौर यादें तो अपने पास रख सकता है, लेकिन उपहार की कीमत अगर तय मानक से ज्यादा है, तो उसे ट्रेजरी में जमा कराना पड़ेगा। सबके अलावा एक सबसे बड़ी व्यवस्था यह भी की गई है कि जो नेता या मंत्री शहर के तमाम संगठनों में जाकर पुरस्कार लेते थे या पुरस्कार बांटते थे, जिसमें उन्हें सम्मानित भी किया जाता था। लेकिन अब वहां जाने से पहले उसकी पूरी पड़ताल की जाएगी। सूत्र बताते हैं कि मंत्रियों को या पहले पता करना होगा संस्था सिर्फ दिखावे के लिए तो नहीं बनी है या मंत्री को बुलाकर कोई एजेंडा तो सेट नहीं किया जा रहा है। हर स्तर पर इसे परखने के बाद ही मंत्री उस कार्यक्रम में जा सकेंगे। इसके अलावा यह व्यवस्था भी की गई है कि अगर कोई पुरस्कार लेने-देने वाली संस्था विदेशी है, तो वहां जाने से पहले मंत्रियों को सरकार से अनुमति लेनी होगी।
उत्तर प्रदेश सरकार से जुड़े एक जिम्मेदार नेता कहते हैं कि भाजपा सरकार की कोशिश यह है कि जितनी पारदर्शिता होगी उतना ही जनता में भरोसा बढ़ेगा। मंत्रियों और चुने हुए जनप्रतिनिधियों का आचरण समाज में अहम भूमिका निभाता है, इसलिए इस तरीके की आचरण संहिता बनाकर सभी को पालन करने के लिए कहा गया है।