रामलीला मंचन को संरक्षित करने के लिए आगे आएं युवा पीढ़ी

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जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : श्री रामलीला मंचन एवं सांस्कृतिक समिति की ओर से शुक्रवार से 124वां मंचन शुरू हो गया है। मुख्य अतिथि महिताब सिंह रावत ने कहा कि धार्मिक और पौराणिक महत्व के इस आयोजन को संरक्षित करने के लिए युवा पीढ़ी को आगे आने की जरूरत है। उन्होंने समिति के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि रामलीला का 124वां मंचन इस बात को दर्शाता है कि पौड़ी की रामलीला उत्तरोत्तर प्रगति की ओर अग्रसर है।
रामलीला का शुभारम्भ मुख्य अतिथि और रामलीला समिति के 90 वर्षीय वयोवृद्ध संरक्षक महिताब सिंह रावत ने किया। समिति के अध्यक्ष उमाचरण बड़थ्वाल ने सभी से सहयोग की अपील की। रामलीला मैदान में लीला गणेश वंदना से रामलीला की शुरुआत हुई। कैलाश पर्वत पर शिव पार्वती संवाद जब नीच निशाचर पाप करे से आरंभ होकर रावण दरबार में शुक्राचार्य द्वारा राक्षसों को दुरोपदेश देकर ऋषि मुनियों को सताना, ऋषियों से कर लेना, अयोध्या में राजा दशरथ की सभा, सुमंत दशरथ वार्तालाप, पुत्रष्ठी यज्ञ और राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न जन्म तक की लीला मंचित की गई। दशरथ सुमंत संवाद में दशरथ का गायन मेरे पुत्र नाहीं, पुत्र नाहीं, पुत्र नाहीं जी बड़ा मार्मिक रहा। महादेव की भूमिका में पारस, पार्वती आरती बहुगुणा, रावण जगत किशोर बर्थवाल, दशरथ सुदर्शन बिष्ट, सुमंत प्रदीप कंडारी, शुक्राचार्य वीरेंद्र जदली, श्रृंगी ऋषि डा. मदन मोहन नौडियाल, दूत गौतम, कैकई मोनिका वेदवाल, कौशल्या सोनम डोभाल, सुमित्रा संजना, वशिष्ठ पारस, ऋषि अनिल, अंशुमन, सचिन और वंश रहे। पाश्र्व गायन गौरी शंकर थपलियाल, पुष्पा थपलियाल, उमाचरण बड़थ्वाल, मनोज रावत अंजुल, इंद्र मोहन चमोली, सर्वेंद्र रावत, प्रीती, कविता ममगाई, सुनंदा चमोली, सोनिका गैरोला, प्रेम बल्लभ पंत, अंकित नेगी और गौतम ने किया। मुख्य संगीत संयोजक गौरी शंकर थपलियाल, मंच निर्देशन सुबोध रावत, सह निर्देशन हिमांशु चौहान ने किया। संचालन वीरेंद्र खांकरियाल ने किया।

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