जिला चिकित्सालय में दो माह से ठप है अल्ट्रासाउंड सुविधा
-पीपीपी मोड पर संचालित होता है जिला चिकित्सालय
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी। जिला चिकित्सालय पौड़ी में विगत दो माह से अल्ट्रासाउंड सुविधा ठप है। जिससे यहां गर्भवती महिलाओं व अन्य मरीजों को काफी दिक्कतें हो रही है। अल्ट्रासाउंड के लिए मरीजों को पौड़ी से 30 किमी. दूर श्रीनगर के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। वहीं अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि पूर्व में अल्ट्रासाउंड मशीन जिला चिकित्सालय के रेडियोलॉजिस्ट के नाम पंजीकृत थी, लेकिन अब जिला चिकित्सालय पीपीपी मोड पर संचालित हो रहा है। अब मशीन का पंजीकरण अस्पताल को पीपीपी मोड पर संचालित कर रहे संस्थान के रेडियोलॉजिस्ट के नाम पंजीकरण होना है। पंजीकरण प्रक्रिया पूरी होते ही अल्ट्रासाउंड सुविधा शुरू कर दी जाएगी।
जिला अस्पताल पौड़ी का संचालन पीपीपी मोड में महंत इंद्रेश अस्पताल देहरादून कर रहा है। अस्पताल में विगत दो माह से अल्ट्रासाउंड सेवा ठप पड़ी हुई है। जिससे आम मरीजों के साथ गर्भवती महिलाओं को भारी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। महिला रोग विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भवती महिला का गर्भधारण के तीन, छ: और आठ व नौ माह के बीच में अल्ट्रासाउंड किया जाना आवश्यक है। जिसमें आठवें माह के बाद का अल्ट्रासाउंड किया जाना अति आवश्यक है। अंतिम अल्ट्रासाउंड से गर्भ में पल रहे शिशु की गर्भ में स्थिति, नाल, पानी को लेकर अहम जानकारी का स्पष्ट पता चलता है। साथ ही प्रसव के सामान्य या सर्जिकल होने का निर्णय भी इसी अल्ट्रासाउंड पर निर्भर होता है। एनएसयूआई के प्रदेश सचिव मोहित सिंह ने कहा कि जिला अस्पताल पहले से ही दयनीय स्थिति में था, लेकिन पीपीपी मोड में संचालित होने के बाद सुधार का दावा खोखला साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल में विगत दो माह से अल्ट्रासाउंड सेवा ठप पड़ी हुई है। मोहित ने कहा कि सरकार अस्पताल की व्यवस्थाओं में जल्द सुधार नहीं करती है, उग्र आंदोलन शुरु किया जाएगा। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. गौरव रतूड़ी ने बताया कि जिला अस्पताल में पहले अल्ट्रासाउंड मशीन अस्पताल के रेडियोलॉजिस्ट के नाम पंजीकृत थी। अब यह मशीन उनके संस्थान के रेडियोलॉजिस्ट के नाम पंजीकृत होनी है। इस संबंध में पीएनडीटी एक्ट के तहत कार्यवाही गतिमान है। जल्द अल्ट्रासाउंड सुविधा शुरू कर दी जाएगी।
अधिकतर लैब टेक्निशियनों का नहीं है पंजीकरण
पौड़ी। जिला अस्पताल में पीपीपी मोड के संचालन के बाद सेवारत लैब टेक्निशियनों की सेवा पर सवाल उठ रहे हैं। एनएसयूआई के प्रदेश सचिव मोहित सिंह ने कहा कि अस्पताल में सेवारत अधिकतर लैब टेक्निशियनों का उत्तराखंड पैरामेडिकल काउंसिल में पंजीकरण ही नहीं है। कहा कि अस्पताल में लैब टेक्निशियन की सेवा प्रशिक्षुओं से भी ली जा रही है। वहीं एमएस डा. रतूड़ी ने बताया कि अस्पताल में करीब 10 लैब टेक्निशियन सेवारत हैं। जिनमें सभी ने पंजीकरण के लिए आवेदन किया है। कहा कि किसी भी प्रशिक्षु की सेवाएं नहीं ली जा रही हैं।